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इंटरनेट से जुड़ी निजी जानकारी खतरे में 

Published: Dec 22, 2016 11:54:00 am

एनिसा की रिपोर्ट के बाद से इस बात की आशंका जताई जाने लगी है कि इंटरनेट कनेक्टेड लोगों की निजी जानकारी खतरे में पड़ गया है।

internet related private information under threats

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लंदन. यूरोप में इंटरनेट कनेक्टेड दुनिया से जुड़े मामलों पर काम करने वाली संस्था एनीसा ने हाल ही में एनक्रिप्शनके बारे में एक रिपोर्ट निकाली है। इसमें कहा गया है कि कई देश की सरकारें चोरी छुपे इंटनेट कनेक्शन के माध्यम से घर में इस्तेमाल होने वाले टीवी, गेमिंग कॉन्सोल, फ्रिज आदि में ऐसे डिवाइस लगा रही हैं जिससे लोगों पर नजर रखने में उन्हें आसानी हो। ऐसे उपकरणों को बैकडोर डिवाइस कहा जाता है।



नुकसान ज्यादा 
कंपनियों के लिए डिजिटल सिंगल मार्किट यानी एक ही बाजार में काम करने के लिए ऐसा करना शायद जरूरी है। लेकिन इस लिंक पर मौजूद रिपोर्ट की अगर मानें तो एक बार ऐसा कर दिया गया तो ये गलत हाथों में भी पड़ सकता है जिससे लोगों के लिए नया खतरा पैदा हो जाएगा। एनीसा के अनुसार ऐसा करने से जो फायदे हैं उससे कहीं ज्यादा लोगों को नुकसान हो सकता है।



प्राइवेसी खतरे में 
बैकडोर डिवाइस की वजह से मासूम लोग साइबर क्राइम का शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा अगर आप विदेशी उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं तो हो सकता है कि आपकी निजी जानकारी विदेश की कंपनियों या सरकारों के हाथ पड़ जाए। दुश्मन देश इन जानकारियों का गलत इस्तेमाल कर सकता है। ऐसे उपकरण न सिर्फ आम इंसानों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। एनीसा ने ये भी आशंका जाहिर की है कि साइबर क्राइम का शिकार होने पर आम लोगों को सजा हो सकती है क्योंकि उनके डिवाइस किसी गलत कामों के लिए इस्तेमाल होते हैं। अपराधी आपकी निजी तस्वीरें और वीडियो लीक कर सकता है। इतना ही नहीं आपके धन दौलत की जानकारी भी किसी अनजान शख्स को लग सकती है। सरकार भले ही ऐसे डिवाइस का इस्तेमाल देश की सुरक्षा के लिए करती हो लेकिन इससे निजता का हनन भी होता है।



आईफोन अनलॉक करने का इरादा
इस बात पर साल 2015 में भी बहस छिड़ी थी। उस समय अमरीका में एफबीआई ने एप्पल से गुजारिश की थी कि वो आई फोन को अनलॉक करे। एप्पल ने ऐसी गुजारिश को लेकर सरकार को आगाह किया था कि जिस बैकडोर के जरिए सरकार अपराध का पता लगाती है उसी तरीके का गलत इस्तेमाल अपराधी भी कर सकते हैं। कोई भी कंपनी प्राइवेसी पॉलिसी के तहत अपने ग्राहकों से वादा करती है कि वो उनकी निजी जानकारी को सार्वजनिक नहीं करेगी। अगर वो सरकार के कहने पर किसी डिवाइस के जरिए ऐसी जानकारी लीक करेगी तो ये प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ यही वजह है कि एप्पल ने एफबीआई की मदद करने से साफ इनकार कर दिया था।

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