ड्रोन ऎसे मच्छरों को ढूंढकर पकड़ेंगे जो डेंगू, मलेरिया या चिकुनगुनिया के वायरस फैलाते हैं
न्यूयॉर्क। ड्रोन सिर्फ सामान या पिज्जा डिलीवर के ही काम नहीं आएंगे, अब वह ग्रामीण इलाकों से ऎसे मच्छरों को ढूंढकर पकड़ेंगे जो डेंगू, मलेरिया या चिकुनगुनिया के वायरस फैलाते हैं। अमरीकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट “
नेचर्स ड्रोन मॉस्कीटो” विकसित कर रही है। माइक्रोसॉफ्ट ने इस प्रोजेक्ट को “
प्री मॉनीशन” नाम दिया है, जिसके तहत एक ऎसी प्रक्रिया विकसित की जाएगी जो मच्छरों से फैलने वाली बीमारी को जल्द से जल्द पहचानने में डॉक्टरों की मदद करे। कंपनी प्रोजेक्ट को लेकर अमरीकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों से भी बात कर रही है।
1950 और 60 के दशक में ईजाद हुआ था तरीकामेडिकल शोध के लिए मौजूदा मच्छरों को पकड़ने का तरीका 1950 और 60 के दशक में ईजाद किया था, जो काफी खर्चीला है। इसमें मच्छरों को अन्य कीड़ों के साथ ही अंधाधुंध तरीके से पकड़ा जाता है, फिर उन्हें लैब में लाकर कीड़ों से अलग किया जाता है। उसके बाद उन पर रिसर्च की जाती है।
वैज्ञानिकों ने बनाया पानी और बैक्टीरिया से चलने वाला इंजन, देखें वीडियोऎसे करेगा काममाइक्रोसॉफ्ट के प्रोजेक्ट के मुख्य शोधकर्ता इथान जैक्सन के मुताबिक “नेचर्स ड्रोन मॉस्कीटो” में मच्छरों को पकड़ने के लिए एक सेंसर लगा होगा, जो अन्य कीड़े-मकोड़ों के बीच मच्छरों की पहचान कर उन्हें पकड़ेगा। लैब में डॉक्टर मच्छरों में मौजूद ऎसे वायरस का परीक्षण करेंगे, जो इंसानों को खतरा पहुंचा सकते हैं, फिर समय रहते उनकी निरोधक दवाएं बनाई जाएंगी।
महामारी से पूर्व इलाजटीम इस ड्रोन को स्वतंत्र रूप से दूर-दराज के इलाकों में मच्छरों को पकड़ने के लिए भेजेगी। यह ड्रोन कम उर्जा खपत करेगा और हल्की बैटरी से चलेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खोज से मेडिकल विभाग को किसी भी बीमारी को महामारी बनने से वक्त रहते रोका जा सकेगा।
इनकी बनाई बांसुरी से ठीक होंगे फेफड़े
भारत के लिए उपयोगी
यह भारत जैसे देशों के लिए उपयोगी
साबित हो सकती है। आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल सिर्फ डेंगू से 20 हजार से
ज्यादा मौत होती हैं। लाखों लोग इसकी चपेट में आते हैं। इसमें मलेरिया, चिकनगुनिया,
डेंगू, येलो फीवर बीमारी के शिकंजे में लोग अक्सर फंसते हैं।