नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग पर चिंता जताते हुए चेतावनी जारी की है कि यदि इसी तरह ये यह बढ़ता रहा तो आने वाले समय में कुछ बुरा हो सकता है। साइंटिफिक विचार देने वाली जनरल साइंस ने अपनी रिव्यू रिपोर्ट में कहा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग अगर 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा तो समुद्र लेवल कम से कम 20 फीट यानी 6 मीटर तक बढ़ जाएगा। ऐसा होने के बाद भारत के मुंबई-कोलकाता सहित दुनिया के 20 बड़े शहरों पर डूबने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। माना जा रहा है कि यदि ऐसा हुआ तो धरती का 444000 स्क्वायर मील भू-भाग समुद्र में डूब जाएगा जिसकी वजह से 375 मिलियन लोग प्रभावित होंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक पेरिस में 30 नवंबर से 11 दिसंबर तक पर्यावरण परिवर्तन पर समिट हो रही है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा ले रहे हैं। इसका मकसद दुनिया के औसत तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की संभावित बढ़ोतरी को रोकना है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र पहली बार क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए ग्लोबल डील पर सभी देशों की रजामंदी चाह रहा है।
मुंबई सहित ये 20 शहर हैं 6 मीटर समुद्र लेवल राइज के दायरे में
मुंबई (इंडिया), कोलकाता (इंडिया), शंघाई (चीन), हांगकांग (चीन), ताइझोउ (चीन), तानजिन (चीन), नांतोंग (चीन), जियागमेन (चीन), हुआइन (चीन), शांतोऊ (चीन), लियानयुंगैंग (चीन) जकार्ता (इंडोनेशिया), हो ची मिन सिटी (वियतनाम), हनोई (वियतनाम), नाम दिन्ह (वियतनाम), ओसाका (जापान), टोक्यो (जापान), चटगांव (बांग्लादेश), खुलना (बांग्लादेश) और बारिसाल (बांग्लादेश)।
वैज्ञानिकों ने क्यो जताई चिंता
-वैज्ञानिकों ने समुद्र लेवल बढऩे की आशंका जताई है। ऐसा गैस इमिशन की मौजूदा रफ्तार से बढऩे से हो सकता है।
-समुद्र लेवल बढऩे से समुद्र तटों का कटाव शुरू होगा, जिससे दुनिया का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब जाएगा और लोग बेघर हो जाएंगे।
सबसे ज्यादा असर चीन पर
-चीन दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैस पैदा करने वाला देश है और इसी इसी पर तापमान बढऩे का सबसे ज्यादा असर होगा। ऐसा होने पर प्रभावित होने वाली कुल आबादी की एक-चौथाई चीन की होगी।
-अमरीका ग्रीन हाउस गैसों के उत्र्सजन के मामले में दूसरे नंबर है तथा इससे उसे काफी नुकसान होगा।
-रिपोर्ट में फिलहाल मुंबई, कोलकाता, शंघाई और हांगकांग समेत दुनिया के कई बड़े शहरों को 6 मीटर तक डूबने के दायरे में बताया गया है।
-इसमें चौंकाने वाली बात ये है कि 6 मीटर समुद्र लेवल दायरे से प्रभावित होने वाले टॉप 20 शहरों में सभी एशिया के हैं।
हॉट स्पॉट में ईस्ट कोस्ट, गल्फ ऑफ मेक्सिको
– अमरीका के पूर्वी तट और मेक्सिको की खाड़ी में समु्रद लेवल तेजी से बढ़ रहा है। पिछले 50 सालों में समुद्र लेवल यहां पर 8 इंच से ज्यादा बढ़ा है।
-समुद्र लेवेल में इस बढ़ोत्तरी के पीछे कई ग्लोबल, रीजनल और लोकल फैक्टर हैं।
-पूर्वी तट और खाड़ी इलाकों में जमीन घट रही है, जिससे समुद्र का पानी देशों के अंदर घुस सकता है।
-दुनिया के बाकी देशों में भी समुद्र की स्थिति में बदलाव हो रहा है। 1880 से वर्ल्ड में सी-लेवल औसतन 8 इंच बढ़ा है।
समुद्र लेवल क्यों बढ़ रहा है
-1972 से 2008 के बीच समुद्र लेवल बढ़ा है इसकी वजह ग्लेशियर्स का पिघलना और बर्फीली चोटियों का सिकुडऩा है। इसमें 1990 से इजाफा हुआ है।
-2003 से 2007 के बीच ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र लेवल में लगभग आधा इंच बढ़ोतरी हुई है।
भविष्य में कैसे और कितने बढ़ेगा समुद्र लेवल
-गैस उत्सर्जन ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2050 तक सी लेवल काफी बढ़ जाएगा। 21वीं सदी के आखिर तक यह और भी ज्यादा होगा।
-ग्लोबल वार्मिंग में अगर 2016 तक बढ़ोतरी जीरो हो जाती है, तो भी सी लेवल अगले कई दशकों तक बढ़ता रहेगा।
भारत ने उठाए 8 कदम
– भारत ने क्लाइमेट चेंज पॉलिसी के लिए 8 कदम उठाए हैं। इसमें ग्रीन हाउस गैसों में से एक कार्बन उत्सर्जन में 33-35 फीसदी की कटौती की बात है।
– प्रदूषण कम करने के लिए 2030 तक 40 फीसदी बिजली सोलर और विंड एनर्जी से पैदा करने का फैसला किया है।
– इसके अलावा इतने जंगल विकसित किए जाएंगें जो 2.5 से 3 टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोख सके। एक अनुमान के मुताबिक भारत को इसके लिए करीब 14 लाख करोड़ रूपए खर्च करने होंगे।
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