अमरीका के राष्ट्रपति ओबामा की सरकार अपनी आधिकारिक अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा के काम में तेजी लाना चाहती है
अमरीका के राष्ट्रपति ओबामा की सरकार अपनी आधिकारिक अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा के काम में तेजी लाना चाहती है। इसके लिए उन्होंने नासा को कम से कम 5.5 करोड़ डॉलर खर्च करने का निर्देश दिया है। दरअसल ओबामा प्रशासन चाहता है कि मंगल सहित अंतरिक्ष में बेहद गहराई तक अपने अन्य अभियानों में मानवों को भेजने के काम में तेजी लाई जाए। इसके लिए उन्होंने अपने हैबिटेशन ऑगमेंटेशन मॉड्यूल में तेजी लाने के उद्देश्य से नासा को जरूरी धन खर्च करने के लिए कहा है। वेबसाइट स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक, यह धन उन्नत अन्वेषण प्रणाली कार्यक्रम से आएगा। अन्वेषण अनुसंधान और विकास के इस कार्यक्रम में करीब 35 करोड़ डॉलर का खर्च आ सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, नासा 2018 तक अंतरिक्ष में काफी गहराई तक उच्च गुणवत्ता वाले अन्वेषणों के लिए इस स्पेस हैबिटेशन माड्यूल को विकसित कर लेगा। पिछले कुछ महीनों में नासा अपने इस स्पेस हैबिटेशन माड्यूल में तेजी लाई है, जिनका 2020 तक सिस्लुनार (पृथ्वी और चंद्रमा की बीच की कक्षा) अंतरिक्ष में परीक्षण किया जाएगा। इस परीक्षण के बाद इस मॉड्यूल का मनुष्य को मंगल पर भेजने के अभियान में इस्तेमाल किया जा सकेगा। बिगेलो एयरोस्पेस कंपनी ने भी इसी तरह के एक एक्सपैंडेबल मॉड्यूल का प्रोटोटाइप विकसित किया है, जिसे 2016 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर स्थापित किया जाएगा।
पापुलर साइंस डॉट कॉम के अनुसार, हालांकि यह सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण होगा कि यह मॉड्यूल हल्का रहे और अंतरिक्ष यात्रियों को विकिरण से सुरक्षित रखे। नासा के वैज्ञानिकों ने अब तक ओरियन क्रू माड्यूल के दो चरणों को पूरा कर लिया है। इसे नासा के स्पेस लांच सिस्टम (एसएलएस) रॉकेट के जरिए चंद्रमा से भी अधिक दूरी के अभियान पर भेजा जाएगा। एसएलएस दुनिया के सबसे बड़े अनुभवी रॉकेट इंजनों में से एक है। इस क्रू मॉड्यूल के पूरा होने के बाद एसएलएस अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को सौर मंडल के दूरस्थ स्थानों की यात्रा पर ले जाने में सक्षम हो जाएगा।