नई तकनीक विकसित, अब नहीं सड़ेगा आलू
Published: Apr 27, 2015 10:29:00 am
जालंधर स्थित केंद्रीय आलू शोध संस्थान ने नई तकनीक विकसित की है जिससे आलू को सड़ने से बचाया सकता है
जलंधर। अब एक ऎसी तकनीक विकसित कर ली गई है जो आलू की खेती करने वाले किसानों को काफी लाभ पहुंचाने वाली है। यह एक ऎसी तकनीक है जिससे आलू कभी सड़ेगा नहीं। इसके अलावा आलू का लंबे समय तक भंडारण भी करके रखा जा सकेगा।
पंजाब में विकसित हुई तकनीक–
आलू की खेती करने वाले किसानों को नुकसान से बचाने वाली इस तकनीक को जालंधर स्थित केंद्रीय आलू शोध संस्थान ने विकसित किया है। इस तकनीक से आलू को न केवल सड़ने से बचाया जा सकता है बल्कि लंबे समय तक भंडारण करके भी रखा जा सकता है।
8 महीने तक रखा जा सकेगा भंडारण करके–
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधीन काम करने वाले केंद्रीय आलू शोध स्टेशन (सीपीआरएस) की इस नई तकनीक से आठ महीने तक भंडारण करके रखा जा सकता है और इस अवधि में आलू खराब नहीं होगा।
आलू का पानी निकाल दिया जाता है–
आलू को बचाने वाली तकनीक विकसित करने वाले सीपीआरएस की प्रधान वैज्ञानिक डा आशिव मेहता का कहना है कि आलू में लगभग 80 फीसदी पानी की मात्रा होती है। इसी वजह से मिट्टी से निकालने के कुछ ही हफ्ते बाद आलू खराब होना शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि “अगर हम इस पानी को आलू से निकाल दें तो इसका जीवनकाल कुछ हफ्तों से बढ़कर आठ महीने तक हो सकता है और इतने समय तक इसे भंडारण करके भी रखा जा सकता है। मेहता ने इस तकनीक का नाम डिहाइड्रेशन आफ पोटैटो रखा है और यह पर्यावरण अनुकूल भी है।