वह समय दूर नहीं, जब जीवाणुओं से प्राकृतिक बैटरी का निर्माण होने लगेगा। जीवाणु सूक्ष्म चुंबकीय कणों का प्रभावी रूप से इस्तेमाल कर प्राकृतिक बैटरी का निर्माण कर सकता है। नए शोध में यह बात सामने आई है। जीवाणु मैग्नेटाइट में ऑक्सीकरण/अवकरण प्रक्रिया को अंजाम देने में सक्षम हैं। यह महत्वपूर्ण खोज पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने तथा अन्य बायोइंजीनियरिंग प्रक्रिया में मदद करेगा।
अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ तूबिनजेन, यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर व पेसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लैब के शोधकर्ताओं ने जल में रहने वाले बैंगनी बैक्टीरिया को मिट्टी तथा मैग्नेटाइट के साथ रखा और उन्हें मिलने वाले प्रकाश का नियंत्रण किया। पाया कि प्रकाश में बैक्टीरिया मैग्नेटाइट से इलेक्ट्रॉन निकाल लेते हैं, जिससे वह (मैग्नेटाइट) डिस्चार्ज हो जाता है। प्रकाश न होने पर बैक्टीरिया वापस इलेक्ट्रॉन को मैग्नेटाइट में पहुंचा देते हैं, जिससे वह रिचार्ज होता है। यह प्रक्रिया चलती रहती है। इसका मतलब यह है कि बैटरी का इस्तेमाल दिन-रात चक्र के दौरान होता रहता है।
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