अमेरिका में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने खोजा तरीकाअफ्रीकी महाद्वीप में गरीबी में रह रहे लोगों की मिलेगी सही जानकारीउपग्रह से ली गई तस्वीरों और मशीन लर्निंग का किया जाएगा इस्तेमाल
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने गरीबी का पता लगाने का एक किफायती एवं अधिक विश्वसनीय तरीखा खोजने का दावा किया है। इसके लिए उपग्रह से ली गई तस्वीरों और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया जाएगा।
गरीबी से निपटने मे मिलेगी मदद
रिसर्चरों के मुताबिक, इससे गरीबी से निपटने के लिए काम करने वाले संगठनों एवं नीति निर्माताओं को मदद मिलेगी।
अभी तक गरीबी से लडऩे से अधिक बड़ी चुनौती इससे जूझ रहे लोगों के बारे में सही जानकारी जुटाना माना जाता है। खासकर अफ्रीकी महाद्वीप में रह रहे ऐसे लोगों का सटीक और विश्वसनीय आंकड़ा जुटाना एक दुर्लभ काम है।
घर-घर जाकर होता है सर्वेक्षण
सहायता समूह और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन घर-घर जाकर सर्वेक्षण के माध्यम से इस काम को अंजाम देते हैं। लेकिन इसमें बहुत अधिक समय और धन खर्च होता है, बाकी जो चुनौतियां हैं उसकी कोई सीमाएं नहीं हैं।
स्टैनफोर्ड में सहायक प्रोफेसर मार्शल बुर्के ने कहा, ‘हमने अफ्रीकी महाद्वीप के कई गांवों में सीमित सर्वेक्षण किए हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि गरीबी संबंधी जानकारी एकत्र करने में यह तरीका आश्चर्यजनक रूप से बहुत लाभकारी है।
होगा मशीन लर्निंग का इस्तेमाल
यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने उपग्रह से मिलने वाली हाई रेजोल्यूशन वाली तस्वीरों से गरीबी के बारे में सूचना निकालने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया। मशीन लर्निंग आंकड़ों पर आधारित प्रणालियों के निर्माण एवं अध्ययन से संबंधित विज्ञान है।
पहले लगाया जाता था रात के उजाले से अनुमान
सैटेलाइट तस्वीरों से गरीबी का अनुमान लगाने का यह तरीका कोई बहुत नई चीज नहीं है। हालिया अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि स्पेस आधारित डाटा के आधार पर किसी निश्चित भू भाग की आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में रातों की रोशनी का विश्लेषण किया जाता है। इसलिए वैज्ञानिकों ने इस बार दिन की तस्वरों के सहारे रिसर्च किया। जिसमें सड़कें, गलियां और घर की छतों को देखकर सही अनुमान लगाया जा सकता है।