धरती को सूर्य के चुंबकीय गोले से बचाएगा 3डी मैप
Published: Jun 29, 2016 02:27:00 pm
सौर विस्फोटों की वजह से अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइटों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है
लंदन। सौर विस्फोटों की वजह से अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइटों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। सौर तूफान, कब पृथ्वी पर जनजीवन अस्तव्यस्त कर दें इसका ठीक ठीक अनुमान वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाते हैं। लेकिन विशेषज्ञों ने इस डर से निपटने के लिए एक कारगर हथियार खोज लिया है। इससे कोरोनल मॉस इंजेक्संस को ट्रैक किया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी स्वचालित व्यवस्था विकसित करने में सफलता हासिल की है, जिससे अंतरिक्ष के खतरनाक मौसम को 3डी में प्रदर्शित किया जा सकेगा। इस नई तकनीक से पहले से अधिक सटीक भविष्यवाणियां की जा सकेंगी। स्वचालित सीएमई त्रिकोण प्रणाली, स्पेस आधारित तीन वेधशालाओं से डेटा लेता है। इससे वैज्ञानिकों द्वारा सूर्य और कोरोनल मॉस इंजेक्संस को भिन्न भिन्न कोणों से देख पाने में सहूलियत होगी।
गौर करने वाली बात यह है कि, अभी तक का सीएमई ट्रैकिंग सिस्टम द्विविमीय यानी 2डी था। इससे आकार और उसकी अनुमानित गति यानी रफ्तार और उसमें आने वाले अंतर का ही अनुमान लगाया जा सकता था।
एसीटी की इस तकनीक से सीएमई के धरती की तरफ बढऩे की पल पल की खबर रखी जा सकेगी। सीएमई लाखों मील प्रति घंटे की रफ्तार से सफर करता है। इसके साथ के गर्म तत्वों को प्लाज्मा कहा जाता है। इसे सूर्य से धरती तक पहुंचने में तीन दिन का समय लगता है।
सीएमई के दौरान 2500 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से करोड़ों टन सौर सामाग्री अंतरग्रहीय अंतरिक्षों में प्रवाहित होती है। यदि यह धरती की तरफ मुड़ जाए तो यहां हाहाकार मच सकता है। बड़े पैमाने पर पॉवर सप्लाई, सैटेलाइट आधारित संचार सेवाएं ठप हो सकती हैं।
क्या होता है सीएमई
सूर्य में मुख्यत: दो प्रकार का विस्फोट होता है। पहला सौर लपटों के रूप में और दूसरा कोरोनल मॉस इंजेक्संस या सीएमईके रूप में के रूप में। सौर लपटों से उर्जा और एक्स रे किरणें निकलती हैं। जो कि आठ मिनट के कोरोनल मॉस इंजेक्सन के बाद प्रकाश की गति से धरती पर पहुंच सकती हैं।
वहीं सौर तत्वों से बने बादलों को पहुंचने में तीन दिन का समय लगता है। इनके धरती पर पहुंचने से रेडियो और सैटेलाइट आधारित संचार व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।