शोधार्थियों ने कहा कि यह तकनीक नयी दवाओं का निर्माण करते वक्त दवा कंपनियों के समय और धन की बचत में कारगर हो सकती है
कैलिफोर्निया। वैज्ञानिकों ने थ्रीडी (त्रिआयामी) प्रिटिंग तकनीक से जिगर के एक ऊतक को विकसित किया है। इसका प्रयोग रोगी विशेष की बीमारी के अनुरूप दवा परीक्षण करने में किया जा सकता है क्योंकि यह मानव जिगर के ऊतक की बहुत करीबी नकल है और इसकी संरचना एवं कार्यविधि भी वैसी ही है।
शोधार्थियों ने कहा कि यह तकनीक नयी दवाओं का निर्माण करते वक्त दवा कंपनियों के समय और धन की बचत में कारगर हो सकती है।
सैन डिएगो की युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में प्रोफेसर शाओचेन चेन ने बताया कि हमने एक ऐसी विधि बनाई है जिसे दवा कंपनियां अपनी नयी दवाओं पर अध्ययन के लिए प्रयोग कर सकती हैं और इससे उन्हें दवाओं की क्षमता और उसके मनुष्यों पर प्रभाव के बारे में जानने के लिए पशुओं या मनुष्यों पर उन दवाओं के परीक्षण का इंतजार नहीं करना होगा।