जननी एक्सप्रेस महासंघ ने जिलों की संबंधित सेवाओं को बंद करके भ्रष्ट प्रणाली के विरोध में जिला अस्पताल में जमकर नारेबाजी की। जननी एक्सप्रेस संचालक मांगों को लेकर बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं।
सीहोर। राज्य स्तर पर लागू की गई एकीकृत प्रणाली (एंबुलेंस संचालन) के विरोध में मंगलवार को जननी के संचालक आंदोलन की राह पर आ गए हैं। जननी एक्सप्रेस महासंघ ने जिलों की संबंधित सेवाओं को बंद करके भ्रष्ट प्रणाली के विरोध में जिला अस्पताल में जमकर नारेबाजी की। जननी एक्सप्रेस संचालक मांगों को लेकर बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं।
जननी एक्सप्रेस संचालक स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा लागू की गई भ्रष्ट एकीकृत प्रणाली के विरोध में आंदोलन की राह पर आ गए हैं। मंगलवार को जननी एक्सप्रेस संचालकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। वहीं नारेबाजी भी की। जननी एक्सप्रेस संचालक संघ के जिला अध्यक्ष सुनील कटारा, राजेश जैन, नरेन्द्र गौर, संजय राय, जगदीश माहेश्वरी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिज्ञासा कंपनी को जननी का काम दिया जा रहा है। कंपनी द्वारा आगामी 1 नवंबर से कार्य शुरू किया जाना है। इससे व्यवस्था चौपट होगी। इसके साथ ही जननी एक्सप्रेस संचालकों की परेशानी बढ़ जाएगी।
जिले में चल रहीं डेढ़ दर्जन जननी एक्सप्रेस
जिले में डेढ़ दर्जन जननी एक्सप्रेस संचालित हो रही है। संघ के अध्यक्ष के अनुसार जिले में प्रत्येक जननी प्रत्येक माह में सौ से अधिक प्रसूताओं को अस्पताल छोड़ रही हैं। इसके साथ ही करीब 90 केसों को वापस घरों पर छोड़ रही हैं। इसके साथ इमरजेंसी मामलों में भी जननी वाहन चल रहे हैं। जननी एक्सप्रेस की हड़ताल से प्रसूताओंं को परेशानी का सामना करने पर मजबूर होना पड़ेगा। जननी एक्सप्रेस संचालकों ने मांगों को लेकर जिला प्रशासन और सीएमएचओ डॉ. आरके गुप्ता को भी ज्ञापन सौंपा गया।
एनआरएचएम के माध्यम से संचालित हों ‘जननीÓ
संघ के जिला अध्यक्ष राजेश कटारा ने जननी वाहनों को पूर्व की भांति एनआरएचएम से संचालित करने की मांग दोहराते हुए कहा कि जिस कंपनी को प्रदेश स्तर पर जननी का संचालन सौँपा जा रहा है। उस कंपनी द्वरा जिलो में पैनल्टी राशि के रूप में अनावश्यक रूप से कटौती की जा रही है। इसके साथ ही अन्य शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है। निजी कंपनी को जननी का संचालन होने पर जिला स्तर का कॉल सेंटर बंद हो जाएगा। इससे प्रसूता महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।