दुर्गेश शर्मा. आगर-मालवा. बेटी बचाओ आंदोलन जैसे जागरुकता अभियान एवं भ्रूण हत्या को लेकर सरकार की सख्ती का असर धरातल पर दिखाई देने लगा है। किसी जमाने में बेटा-बेटी को लेकर भेदभाव रखा जाता था लेकिन धीरे-धीरे लोगों की धारणा अब समाप्त होती दिख रही है। बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं हैं। अपवाद स्वरूप भले ही कुछ लोग बेटियों को अभिशाप मानने की भूल करते हों लेकिन उनसे कई गुना अधिक संख्या उनकी है जो की बेटी के जन्म पर अपने आपको सबसे धनी मानते हैं। शहर सहित हर जगह एक ओर नए वर्षका स्वागत किया जा रहा था वहीं जिला अस्पताल में भी बेटियों के जन्म पर परिजनों में खुशियां दी। तीन दिन की बात करें तो अस्पताल के प्रसूति वार्ड में बेटों से ज्यादा बेटियों ने जन्म लिया।
अस्पताल में जन्म लेने वाली बेटियों की माताओं से बात की गई तो उनका कहना है हमारे लिए बेटा-बेटी में फर्क नहीं है। हम सौभाग्यशाली हैं नए वर्ष में हमारे यहां लक्ष्मी समान बेटियों का जन्म हुआ। अस्पताल में नववर्ष के बाद पिछले तीन दिनने में 24 बच्चों ने जन्म लिया। इनमें बेटियों की संख्या ज्यादा है। 13 बेटियों ने जन्म लिया।