जिले में बिछे टोल के जाल ने रोडवेज का सफर 10 से 15 फीसदी महंगा कर दिया है। इसका सीधा असर आमजन की जेब पर पड़ रहा है। दरअसल, रोडवेज बसों में ज्यादातर सामान्य लोग सफर करते हैं।
चंद पैसे बचाने के लिए वे कठिनाइयां भी सहते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि टोल बूथों के कारण कष्ट सहने के बावजूद उन्हें सफर के वास्तविक किराए से अधिक पैसे चुकाने पड़ रहे हैं।
कदम-कदम पर खुले टोल बूथों का खमियाजा सबसे अधिक लम्बी दूरी के यात्री उठा रहे है। रोडवेज किराए में बढ़ोतरी कर टोल की राशि उनसे वसूलता है। कई मार्गों पर तो किराए में टोल राशि का एक बड़ा हिस्सा शामिल है, जिसे यदि निकाल दिया जाए तो वास्तविक किराया काफी कम हो सकता है।
प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने भी बढ़ाया किराया
जिले में बिछे टोल के जाल ने प्राइवेट बसों का किराया भी बढ़ा दिया है। इसका असर ग्रामीण जनता पर पड़ रहा है। जिले में लगभग 400 प्राइवेट बसें रोजाना छोटे-छोटे रूटों पर चलती हैं। इन रूटों पर भी टोल लग गए हैं।
दिन में कई बार गुजरने और टोल पर्ची कटने से प्राइवेट बस संचालकों ने इसका भार भी किराए में बढ़ोतरी कर आमजन पर डाल दिया है। शादी-बुकिंग-स्कूल आदि की बसों ने भी किराया बढ़ा दिया है। कई बस संचालक तो बुकिंग के साथ पार्टी से ही टोल भरने की कहते हैं।
रोडवेज में यह है टोल का गणित
रोडवेज बसों के किराए में टोल राशि शामिल करने का सैट पैटर्न है। 1 से 20 किलोमीटर की दूरी की यात्रा के दौरान मार्ग में जितने टोल पड़ते हैं, उनका प्रति टोल एक रुपए की दर से किराए में जोड़ा जाता है।
40 किलोमीटर तक की यात्रा के दौरान पडऩे वाले टोल की राशि दो रुपए प्रति टोल की दर से किराए में जोड़ी जाती है। 40 किलोमीटर से लम्बी यात्रा में प्रति टोल तीन रुपए किराए में शामिल किए जाते हैं।
प्रति बस 100 रुपए देते हैं
कल्याण सहाय मीणा मुख्य प्रबंधक रोडवेज अलवर ने बताया कि रोडवेज किराए में बढ़ोतरी का एक कारण टोल भी है। हर मार्ग पर टोल बूथ हैं। बसों का प्रति टोल लगभग 100 रुपए लगता है। जिसकी पूर्ति किराए से की जाती है। टोल के नहीं होने पर बसों का किराया स्वत: ही कम हो जाएगा।
अब तो कदम-कदम पर टोल हैं
नरेन्द्र शर्मा प्राइवेट बस संचालक ने बताया कि पहले जिले में एकाध टोल थे। तब प्राइवेट बस संचालकों ने किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी, लेकिन अब कदम-कदम पर टोल हैं। इसके खर्चे को बर्दाश्त करना प्राइवेट बस मालिकों के बूते से बाहर है। इसलिए उन्हें किराए में बढ़ोतरी करनी पड़ी है।
…तो कम देने पड़ते 15 रुपए
टोल राशि निकाल देने से अलवर से भरतपुर के लिए किराए में ही 15 रुपए का अन्तर आएगा। अलवर से भरतपुर साधारण बस का किराया 115 रुपए है। करीब 115 किलोमीटर लम्बे इस मार्ग पर पांच टोल पड़ते हैं।
टोल राशि की वसूली के लिए रोडवेज ने प्रति टोल तीन रुपए की दर से किराए में बढ़ोतरी की हुई है। यह राशि निकालने पर अलवर से भरतपुर का किराया 100 रुपए बनता है। एेसा ही हाल जिला मुख्यालय से निकलने वाले दूसरे मार्गों का है।
हाईकोर्ट ने 30 तक जवाब मांगा
हाईकोर्ट ने अलवर जिले के खैरथल नगरपालिका क्षेत्र में किशनगढ़ रोड पर टोल टेक्स वसूली पर राजस्थान स्टेट रोड डवलपमेंट कॉर्पोरेशन को जवाब के लिए 30 नवम्बर तक का समय दे दिया है।
न्यायालय ने डॉ. दिनेश शर्मा व अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता राजेश यादव के जरिए दायर याचिका में कहा है कि खैरथल नगरपालिका क्षेत्र में राजस्थान स्टेट रोड डवलपमेंट कॉर्पोरेशन टोल वसूली कर रहा है, जबकि नियमानुसार नगरपालिका क्षेत्र में पालिका ही वसूली कर सकती है।
राज्य सरकार को वसूली के लिए अधिसूचना जारी करना अनिवार्य है। इस मामले में नगरपालिका बोर्ड ने न तो कोई प्रस्ताव पारित किया और न ही राज्य सरकार ने कोई अधिसूचना जारी की है।