script 40 मिनट तक जिला अस्पताल की लिफ्ट में फंसी रही पांच जिंदगी | sehore hospital Five workers trapped in the elevator | Patrika News

 40 मिनट तक जिला अस्पताल की लिफ्ट में फंसी रही पांच जिंदगी

locationसीहोरPublished: Dec 08, 2016 07:52:00 am

Submitted by:

Bharat pandey

फोन पर कंपनी सेचर्चा के बाद बमुश्किल लिफ्ट से निकल सके कर्मचारी, दो सप्ताह से चल रहा है ट्रामा सेंटर में लगी लिफ्ट का ट्रायल

hospital elevators

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सीहोर। नए ट्रामा भवन में संचालित जिला अस्पताल की लिफ्ट में बुधवार को पांच कर्मचारियों के फंस जाने से जान आफत में आ गई। पांचों कर्मचारी करीब 40 मिनट तक लिफ्ट में फंसे रहे। एक कर्मचारी ने जैसे-तैसे लिफ्ट कंपनी से चर्चा के बाद पांचों कर्मचारी लिफ्ट से बाहर निकल सके।


ट्रामा सेंटर का पिछले महीनों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुभारंभ किया गया। इस भवन में जिला अस्पताल को शिफ्ट कर दिया गया है, लेकिन व्यवस्था अभी तक सुचारू नहीं हो सकी है। ट्रामा सेंटर में लगी लिफ्ट भी इसके कारण अभी तक शुरू नहीं की गई है, लेकिन लिफ्ट का पिछले करीब दो सप्ताह से ट्रायल चल रहा है। अस्पताल सूत्रों की माने तो लिफ्ट के संचालन के लिए अस्पताल के कर्मचारी मुकेश कालरा को प्रारंभिक रूप से लिफ्ट लगाने वाली कंपनी ने प्रशिक्षण दिया है। लिफ्ट के संचालन के संबंध में उसके पास लिफ्ट की चाबी भी उपलब्ध कराई गईहै। मुकेश द्वारा दो सप्ताह से रोजाना लिफ्ट का ट्रायल लिया जा रहा था, लेकिन अभी तक कोई परेशानी नहीं आई थी। मुकेश ने बताया कि बुधवार को प्रतिदिन की तरह लिफ्ट के ट्रायल के लिए लिफ्ट में सवार हुए थे। इसी दौरान लिफ्ट में अस्पताल कर्मचारी मुन्ना सहित अस्पताल गार्ड अरुण भारती, मुरारी ओर विजय भी सवार हो गए। इस दौरान लिफ्ट बीच में फंस गई थी। उन्होंने पहले तो लिफ्ट चलाने का प्रयास किया, लेकिन लिफ्ट लगातार एरर(गलत प्रक्रिया) करना बता रही थी। उसके सहित लिफ्ट में सवार अन्य चारों कर्मचारी की भी जान पर बन आई थी। सभी डर और भय से पसीने-पसीने हो रहे थे। इस दौरान उसने लिफ्ट कंपनी के संचालकों को फोन पर चर्चा कर उनकी सलाह परजैसे-जैसे लिफ्ट को ट्रामा सेंटर के ऊपरी तल पर ले गए। इसके बाद अस्पताल के एक अन्य कर्मचारी को फोन पर बुलाकर लिफ्ट की चाबी देने के बाद लिफ्ट को खुलवाया गया। इसके बाद लिफ्ट से पांचों लोग बाहर निकले। तब तक करीब 40 मिनट हो चके थे, लेकिन लिफ्ट से बाहर आने पर सब सबकी जान में जान आ गईथी।


ऐसा लगा मानो आज जान ही निकल जाएगी 
लिफ्ट में फंसे अरुण ने बताया कि लिफ्ट में फंसने के बाद उनकी जान ही सूख गईथी।वह जरकीन निकालने के बाद भी पसीने-पसीने हो गए थे। मोबाइल का भी नेटवर्क नहीं मिलने तथा फोन नहीं करने के कारण हालत नाजुक होती जा रही थी। ऐसा लग रहा था मानो आज तो लिफ्ट में उनकी जान निकल जाएगी। लिफ्ट से जैसे-जैसे निकलने बाद जान में जान आई।

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