केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में 23.55 फीसदी की बढ़ोतरी की सातवें वेतन आयोग की सिफारिश पर रेटिंग एजेंसी फिच ने चिंता जाहिर की है। फिच का कहना है कि सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने से राजकोषीय मजबूती का लक्ष्य पूरा करने की राह में चुनौतियां बढऩे की आशंका है।
केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में 23.55 फीसदी की बढ़ोतरी की सातवें वेतन आयोग की सिफारिश पर रेटिंग एजेंसी फिच ने चिंता जाहिर की है। फिच का कहना है कि सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने से राजकोषीय मजबूती का लक्ष्य पूरा करने की राह में चुनौतियां बढऩे की आशंका है।
फिच ने एक कहा, ‘सिफारिशों को स्वीकार करने से सरकार के वेतन बिल पर भारी असर पड़ेगा।‘रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘अपने आप में इन सिफारिशों को लागू करने से केंद्र सरकार का वेतन पर खर्च सकल घरेलू उत्पाद के करीब 0.5 फीसदी के बराबर बढ़ेगा। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि इससे राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति पर भी असर होगा क्योंकि वे इसका अनुपालन करना चाहेंगे।‘ सरकार ने 2016-17 में राजकोषीय घाटा कम कर सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत के बराबर लाने का लक्ष्य रखा है जो 2015-16 के लिए 3.9 प्रतिशत है।
नहीं पड़ेगा बोझ: केंद
इन आशंकाओं के बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि आयोग की सिफारिशें मान लेने से सरकार के खजाने पर बहुत बोझ नहीं पडऩे वाला क्योंकि अगले साल देश की विकास दर ऊंची रहने वाली है। वित्त सचिव रतन वटल ने मीडिया से कहा, ‘सिफारिशें अगले साल लागू होनी हैं और बेहतर विकास दर का अनुमान है। हमारी अर्थव्यवस्था बिल्कुल मजबूत है। हम इसे संभाल लेंगे‘।
सबसे कम वृद्धि: एटक
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने आयोग की सिफारिशों का यह कहते हुए विरोध किया है कि मुद्रास्फीति के हिसाब से पिछले तीन दशक में केंद्रीय कर्मियों के वेतन में यह सबसे कम वृद्धि की गई है। एटक के महासचिव गुरदास दासगुप्ता ने कहा, ‘यह बिल्कुल निराशाजनक है। पिछले तीन दशक में यह सबसे कम वृद्धि की सिफारिश है। मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए यह असंतोषजनक है‘।