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सीहोर

शहर में जलसंकट की आहट : जमोनिया डैम की नहरें बंद करना भूल गया जल संसाधन विभाग

 डेढ़ माह से चल रही नहरें, पांच फीट तक गिरा जमोनिया का जल स्तर, थूना-पचामा और औद्योगिक क्षेत्र में बोर-हैण्डपंप सूखे

सीहोरJan 06, 2017 / 08:19 pm

Bharat pandey

water crisis in sehore

water crisis in sehore

सीहोर। शहर के आधे से अधिक हिस्से की प्यास बुझाने वाले जमोनिया डैम की नहरें बंद करना जल संसाधन विभाग इस बार शायद भूल गया है। तेज रफ्तार चलती नहरों के कारण जमोनिया डैम का जलस्तर तेजी से गिर रहा है। 50 दिन से चल रही नहरों के कारण जलाशय का जलस्तर पांच फीट तक नीचे आ चुका है। इधर शहर में जमोनिया जलाशय से लगातार घटते जलस्तर का असर भी दिखाई देने लगा है।


शहर में जल संकट के आहट सुनाई देने लगी है और जलसंसाधन विभाग का मैदानी अमला बेखबर है। अमले के कर्मचारियों द्वारा लंबे समय से जलाशय की सुध नहीं ली गई है। जमोनिया जलाशय की नहरों 18 नवंबर -2016 को प्रारंभ की गई थी। उस समय इन्हें एक महीने के लिए किसानों के पलेवा कार्य के लिए प्रांरभ की गई थी। तब से ही यह नहरें लगातार चल रही है। इन नहरों के कारण बीते 50 दिन में अब तक जमोनिया जलाशय का जलस्तर 5 फीट तक घट चुका है। नवंबर में जलाशय का जलस्तर जहां 28 फीट के ऊपर दर्ज किया जा रहा था, वहीं अब यह जलस्तर 23 फीट पर आ गया है।

शहर पर भी होगा असर
जमोनिया जलाशय से सीहोर शहर में भी पेयजल सप्लाई की जाती है। जलाशय का 5.40 एमसीएफटी पानी सीहोर शहर के लिए हर वर्ष संरक्षित करवाया जाता है। इस वर्ष भी यह पानी संरक्षित है, लेकिन तेजी से घटते जलस्तर के कारण आने वाले दिनों में इसमें से कितना पानी बचा रहेगा फिलहाल कहना मुश्किल है। जलाशय से सीधे मोटरे डालकर भी पानी लिया जाता है। शहर में जनवरी से ही जलसंकट की दस्तक प्रांरभ हो गई है। नगर पालिका दो दिन छोड़कर पानी देने जा रही है। गर्मीयों की समस्या को देखते हुए जलाशय का पानी संरक्षित करवाया जाना आवश्यक है।

 किनारे के गांवों में गहराया जलसंकट
जमोनिया जलाशय के किनारे पर स्थित पचामा औद्योगिक क्षेत्र के साथ ही ग्राम पचामा, थूना और खामलिया में जलाशय में पानी घटने का असर भी दिखाई देने लगा है। इन क्षेत्र के हैण्डपंपों का जलस्तर तेजी से नीचे गिरा है। अधिकांश हैण्डपंप सूख चुके है। पचामा ग्राम पंचायत के सरपंच राजेन्द्र परमार ने बताया कि इस साल नहरे बंद नहीं किए जाने के कारण गांव से तालाब का पानी महीनेभर में ही 100 मीटर तक घिसक गया है। गांव व आसपास के हैण्डपंप सूख चुके है।

नगर पालिका की डिमांड के अनुसार जलाशय में पानी संरक्षित किया जाएगा। इस सीजन में दूसरी बार नहरें नहीं चलाई जाएगी। हमने दो दिन पूर्व ही किसानों को सूचना दे दी है। दो-तीन दिन में नहरें बंद कर दी जाएगी।
बीके जैन, , अनुविभागीय अधिकारी जलसंसाधन विभाग सीहोर
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