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अलर्ट – क्लीनिक, नर्सिंग होम पर हो सकती है तालाबंदी

locationसिवनीPublished: Dec 10, 2016 11:20:00 am

Submitted by:

Prashant Sahare

टीम देखेगी कितना हो रहा है नियमों का पालन, सामने आए मामलों से जागा महकमा

Special clinics for women

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सिवनी. इस जिले में चल रहे कई निजी अस्पताल और पैथोलॉजी लैब, क्लीनिक पर नियमों को दरकिनार कर संचालित किए जाने की शिकायतें सामने आती रही हैं, अब स्वास्थ्य विभाग ने नियमों के विपरीत संचालित ऐसे नर्सिंग होम्स, पैथोलॉजी, क्लीनिक पर तालाबंदी की तैयारी कर ली है। इसके लिए बकायदा जिला स्तर पर टीम बनाई जा रही है, जो इनके द्वारा दस्तावेजों में बताई गई सेवाओं की पड़ताल करेंगे, कमियों पर रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की कार्रवाई तक की जा सकती है।
कुछ जिलों में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) द्वारा निजी नर्सिंग होम के पंजीयन, नवीनीकरण दस्तावेज व अभिलेखों का परीक्षण किए बिना ही किया जा रहा है। ऐसे मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य संचालक मप्र ने सख्त हिदायत देते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को स्पेशल टीम गठित करने के निर्देश दिए हैं, यह टीम जिले में संचालित सभी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम्स, पैथोलॉजी लेब, सोनोग्राफी सेन्टर, क्लीनिक व अभिलेखों का परीक्षण कर पुष्टि करेंगे।
दिए निरीक्षण के निर्देश –
संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं संचालक (अ.प्र.) द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को नर्सिंग होम के सतत निरीक्षण के सम्बंध में आदेशित कर कहा है कि निजी स्वास्थ्य संस्थाओं के पंजीयन, नवीनीकरण के लिए मप्र उपचर्यागृह तथा रुजोपचार सम्बंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 नियम 1997 लागू है तथा पंजीयन, नवीनीकरण की संपूर्ण जिम्मेदारी जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की है। अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत संस्थाओं के निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं।
सामने आ रही हैं गड़बड़ी –
स्वास्थ्य संचालक ने सीएमएचओ को आदेशित कर कहा है कि 1 अपै्रल 2015 से पंजीयन, नवीनीकरण की प्रक्रिया को सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनालइन किया गया है। ऑनलाइन आवेदन पत्र प्राप्त होने पर उसका सूक्ष्म परीक्षण सीएमएचओ कार्यालय द्वारा करते हुए पंजीयन, नवीनीकरण आवेदन के साथ अपलोडेड विभिन्न विभागों से जारी आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्रों व अभिलेखों को सही पाए जाने पर ही नवीन पंजीयन, नवीनीकरण प्रमाण पत्र एवं लाइसेंस जारी किया जाना है। जबकि यह संज्ञान में आया है कि कुछ जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय द्वारा निजी नर्सिंग होम का पंजीयन, नवीनीकरण संलग्न अभिलेखों का बिना परीक्षण किए किया जा रहा है। स्वास्थ्य संचालक ने उदाहरण देते कहा है कि एक जिले में निजी संस्था के पास मप्र प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा प्रमाण पत्र के लिए किए गए आवेदन की प्रति अथवा ऑथोराईजेशन प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं होने पर भी संस्था का पंजीयन किया गया। इस अनियमितता के प्रकाश में आने पर पंजीकरण निरस्त किया गया।
जांचेंगे दस्तावेजों की हकीकत –
स्वास्थ्य संचालक ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से कहा है कि आप अवगत हैं कि बायोमेडिकल वेस्ट (मेनेजटमेंट एण्ड हैण्डिलिंग) नियम 2016 के अंतर्गत प्रत्येक ऐसी संस्था जहां पर बायोमेडिकल वेस्ट उत्पन्न हो रहा है, उन्हें मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ऑथोराईजेशन प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है। मप्र उपचर्यागृह तथा रूजोपचार सम्बंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 नियम 1997 का ऑनलाइन पंजीयन सॉफ्टवेयर में भी आवेदन के साथ अपलोड किए जाने वाले अभिलेखों में से एक अभिलेख इस संदर्भ का है। अपलोड किए जाने वाले अभिलेखों के सम्बंध में सॉफ्टवेयर के यूजर मेन्युअल में एक चेकलिस्ट भी लगाई गई है। जिसके विरुद्ध सभी अपलोड किए गए डॉक्यूमेन्टस को चेक किया जा सकता है। यह भी आवश्यक है कि सीएमएचओ यह परीक्षण करें कि अपलोडेड अभिलेख वही सम्बंधित अभिलेख हैं, ना की उसके स्थान पर अन्य कोई भी अनावश्यक अभिलेख अपलोड कर पूर्ति कर दी गई है।
नियमों का पालन अनिवार्य –
स्वास्थ्य संचालक ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित कर कहा है कि वे दल गठित कर जिले में पंजीकृत संचालित सभी निजी चिकित्सालय, नर्सिंग होम्स, पैथोलॉजी लेब, सोनोग्राफी सेन्टर, क्लीनिक द्वारा आवेदन के साथ प्रेषित सभी अभिलेखों का परीक्षक कर पुष्टि करें कि मांगी गई जानकारी सत्य है अथवा नहीं। इसके साथ ही यह भी निरीक्षण में यह भी तय करने को कहा है कि सभी संस्थाओं द्वारा नियम के प्रावधानों का पालन किया जा रहा है अथवा नहीं। इस कार्रवाई को 15 दिन में पूर्ण करते हुए पालन प्रतिवेदन भेजने को कहा गया है।

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