scriptघर से भागने से बर्बाद हो जाती है जिंदगी | To escape from the house is ruined life | Patrika News

घर से भागने से बर्बाद हो जाती है जिंदगी

locationसिवनीPublished: Dec 09, 2016 12:00:00 pm

Submitted by:

Prashant Sahare

जिले में नाबालिग लड़के -लड़कियों के उम्र के कारण होने वाले परिवर्तनों और
बाहरी दुनिया की चमक दमक से प्रभावित होकर बहकावे में आसानी से आ जाते
हैं। कई बार प्रेमजाल में फंसकर वे घर छोड़कर चले जाते हैं।

indore police

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सिवनी. जिले में किशोर-किशोरियों में घरों से भाग जाने की संख्या काफी अधिक है। आए दिन इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं। इसके मद्देनजर अब पुलिस नए साल से जागरुकता अभियान की शुरुआत नए साल से करने जा रही है। पूर्व में इस तरह की सोशल पुलिसिंग के काफी अच्छे नतीजे सामने आए हैं जिसे देखते हुए पुलिस ने अब जिले में खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में जागरुकता के लिए अभियान शुरु करने जा रही है।
पुलिस अधीक्षक अवध किशोर पांडेय ने बताया है कि जिले में नाबालिग लड़के -लड़कियों के उम्र के कारण होने वाले परिवर्तनों और बाहरी दुनिया की चमक दमक से प्रभावित होकर बहकावे में आसानी से आ जाते हैं। कई बार प्रेमजाल में फंसकर वे घर छोड़कर चले जाते हैं। कुछ दिनों या महीनों, वर्षों के बाद जब वे वापस लौटते हैं तो समाज, परिवार उन्हे स्वीकार नहीं करता है। इधर पुलिस को लड़के के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म जैसी धाराओं के तहत कार्रवाई करनी पड़ती है जिसके कारण लड़का जेल चला जाता है और लड़की परेशान होती रहती है। एसपी का मानना है कि इस तरह के हालात में पूरा परिवार की बिखर सा जाता है। खेलने-पढ़कर अपना कैरियर बनाने की उम्र में घर से भागने के कारण लड़के-लड़की का जीवन ही बर्बाद हो जाता है। जिले में घर से भागने वाले या गुमशुदा नाबालिगों की संख्या काफी अधिक है।
घर से भागे बच्चों के लिए पुलिस ने पिछले दिनों में आपरेशन मुस्कान चलाया था जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले थे और कई जगहों से पुलिस ने बच्चों को बरामद कर घर वापसी कराई थी। इस अभियान के बेहतर परिणामों से उत्साहित होकर किशोरों-किशोरियों के लिए भी इसी तरह का अभियान सिवनी पुलिस नए साल से करने जा रही है। पुलिस इसमें समाजसेवियों, सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों की मदद ले सकती है। यह समस्या ग्रामीण इलाकों में ज्यादा गंभीर है। पुलिस इस अभियान के तहत स्कूल में पढऩे वाले किशोर किशोरियों मेंजागरुकता बढ़ाने के लिए किसी दोस्त की तरह सलाह देगी। मोहल्ला स्तर तक इस अभियान को ले जाया जाएगा। पुलिस अधीक्षक एके पांडेय का कहना है कि दमोह में जब वे एसपी थे तब इस तरह का प्रयोग किया गया था जिसके सकारात्मक परिणाम निकले हैं।
नया नहीं है प्रयोग
पुलिस का यह अभियान भले नया हो लेकिन सामाजिक पुलिसिंग और समझाइश का पुराना इतिहास रहा है। हर सप्ताह में दो बार होने वाले परिवार परामर्श की बैठक में हर सप्ताह कई घर दोबारा जुड़ जाते हैं। परिवार परामर्श केन्द्र में पुलिस ऐसे जोड़ों को समझाइश देती है जो किसी गलतफहमी या समस्या के कारण टूटन की कगार तक जा पहुंचे हैं। अधिकतर मामलों में सुलह हो जाती है। पुलिस के अधिकारी और समाजसेवियों की समझाइश के चलते परामर्श का यह प्रयोग सफल रहा है। एसपी पांडेय का मानना है कि इसी तरह किशोरों किशोरियों को समझाइश देकर बाहरी चमक-दमक से प्रभावति होने के बजाए कैरियर की ओर उनकी सोच को मोडऩा संभव हो सकता है। साल के आखिर में जब इस तरह के डाटा सामने आ जाएंगे तो उन क्षेत्रों को खासतौर पर चिन्हित किया जाएगा जहां इस तरह के ज्यादा मामले सामने आते हैं।

छेड़ेंगे अभियान…
इस साल पुलिस की प्राथमिकता अपराधों और तनाव के हालात से निबटने की थी। जिसमें सिवनी पुलिस पूरी तरह सफल रही है। अब नए साल से किशोरों के लिए अभियान शुरु किया जाएगा। ताकि उनका रुझान कैरियर निर्माण के लिए हो सके। उम्मीद है इसमें समाज के सभी वर्गों का साथ लेकर सफलता जरुर मिलेगी।
अवध किशोर पांडेय, एसपी सिवनी
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