अनूपपुर. प्रत्येक वर्ष की भंाति इस वर्ष जुलाई माह के अंत में कोतमा स्थित 150 मीटर लम्बी केवई रपटा लगातार बारिश में खतरनाक उफान के साथ रपटा पर बहने लगी है। कोतमा व आस-पास के क्षेत्रो को जोडऩे वाली केवई नदी रपटा नगरीय क्षेत्र सहित आमाडांड, खोड्री, राजनगर, जमुड़ी, उरा, मलगा, फुलकोना और आसपास के […]
अनूपपुर. प्रत्येक वर्ष की भंाति इस वर्ष जुलाई माह के अंत में कोतमा स्थित 150 मीटर लम्बी केवई रपटा लगातार बारिश में खतरनाक उफान के साथ रपटा पर बहने लगी है। कोतमा व आस-पास के क्षेत्रो को जोडऩे वाली केवई नदी रपटा नगरीय क्षेत्र सहित आमाडांड, खोड्री, राजनगर, जमुड़ी, उरा, मलगा, फुलकोना और आसपास के 50 हजार की आबादी अपनी जान हथेली पर लेकर बेधड़क खतरनाक रपटा को पार किए जा रहे हैं, लेकिन सुरक्षा व्यवस्थाओं सहित आपदा से निपटने प्रशासन का अमला नदारद है। यहां तक मार्ग से गुजरने वाली वाहनों की भी रोकथाम के लिए जवानों को तैनात नहीं किया गया है।
बताया जाता है कि कोतमा से ग्रामीण इलाकों की ओर जाने वाली यह रपटा एकमात्र आवाजाही का साधन है। जबकि इसी रपटे ने प्रत्येक मानसूनी उफान में दर्जन से अधिक लोगों की जान लील ली है। इनमें वर्ष 2010 में ही तीन लोग दरिया में बह गए। जबकि 24 जुलाई 2010 को मंजू केवट पुरानी बस्ती बुढ़ार, 30 जुलाई नितेश उर्फ निन्नी टांडिया पुलिस कॉलोनी कोतमा, 7 नवम्बर 7 वर्षीय खेल्लु अहिरवार की मौत हो गई। वहीं अगस्त 2013 में शिक्षक लक्ष्मण तिवारी बह गए। यहीं नहीं वर्ष 2014 में वाहन सहित फिरदौस की मौत भी बहकर हो गई, जिसका शव आजतक उनके परिजनों को नहीं मिल सका। इसके अलावा अन्य मौतें भी शामिल हैं जिनका आंकड़ा विभाग के पास नहीं है। लेकिन इसके बाद केवई रपटा के प्रति प्रशासनिक व्यवस्था लापरवाह बनी हुई है। हालंाकि वर्ष 2016 में आरम्भ किए गए पुल निर्माण की सुस्त चाल के कारण अभी तक पुल का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। बताया जाता है कि केवई रपटा पर स्थानीय लोगों की मांग पर पुल निर्माण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2006 में घोषणा की थी। जिसके निर्माण नहीं होने पर दोबारा स्थानीय लोगों की मांग पर जिला योजना समिति में वर्ष 2014 में उसे खतरनाक रपटा मानते हुए तत्काल निर्माण का प्रस्ताव भेजा था। ग्रामीणों के अनुसार वर्ष 1985 के आसपास दर्जनों गांव के लोगों को केवई नदी पार कराने के उददेश्य से पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा लगभग 150 मीटर लम्बी रपटा का निर्माण कराया गया था। लेकिन दिनोंदिन नदी के पेट (तलहटी) के भराव के बाद यह रपटा नदी तलहटी से सटता चला गया। जिसके कारण
मानसून चंद बारिश की बौछार में यह रपट उफान भर कर तीन माह तक लोगों की परेशानी का कारण बनता रहा है।
आपदा टीम का पता नहीं
बारिश के दौरान आपदा से निटपने जिले में 33 होमगार्ड्स जवानों का दस्ता तैयार किया गया है। जिसमें कोतमा में 5 जवानों को तैनात किया गया है। साथ ही रपटा के दोनों छोर पर बैरिकेट लगाने के भी निर्देश है। लेकिन अबतक किसी जवान की तैनाती वहां नहीं दिख रही है।