शहडोल। आज की युवा पीढ़ी छोटे- छोटे संघर्षो से पीछे भाग रही है। थोड़ा सी असफलता मिलती पर आगे ही राह छोड़ देते हैं। सफलता के लिए कोई शार्टकट तरीका नहीं है। सफलता का असली मजा तो तभी आता है जब माथे से पसीने की बूंद बह रही हो और फिर भी हम सफलता से पीछे ना भागे। ये बातें एमपीएससी 2014 बैच में डीएसपी पद पर चयनित होने वाले शहडोल निवासी आसुतोष द्विवेदी ने पत्रिका के साथ विशेष चर्चा पर कही। आसुतोष अनूपपुर जैतहरी एसडीएम आरबी द्विवेदी के पुत्र हैं। एमपीपीएससी में चयनित आसुतोष द्विवेदी ने पत्रिका से बातचीत के दौरान कहा कि सफलता के लिए मोटिवेशन जरूरी है। कोई अपने घर से मोटिवेट होता है तो दोस्तों से मोटिवेट होता है। सफलता के लिए लक्ष्यों में निरंतरता होनी चाहिए।
बेहतर संस्थान से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद भी अच्छी कंपनी और पैकेज छोड़कर देशसेवा की राह चुनने वाले आसुतोष ने बताया कि पीएससी में चयन के लिए हर दिन 15 घंटे पढ़ाई करता था। कई कई दिनों तक घर में बात नहीं हो पाती थी। कई दोस्तों से भी साथ छूट गया था। त्यौहारों से तो पूरी तरह दूरियां बन गई थी। आसुतोष अपनी सफलता का श्रेय परिजनों के साथ शिक्षक और अपने दोस्तों को देते हैं।
पहले दिन नहीं पता था राष्ट्रपति का नाम
आसुतोष का कहना है कि युवा पीढी संघर्ष से हार रही है। छोटी निराशा हाथ लगने पर पीछे हो जाते हैं। आसुतोष का कहना है कि पीएससी की कोचिंग के लिए पहले दिन पहुंचा था तो भारत के पहले राष्ट्रपति का नाम भी नहीं पता था। क्लास में काफी हंसी हुई, लेकिन निराश नहीं हुआ। परीक्षा की तैयारी के दौरान बीमारी से भी ग्रसित हो गए। गले में गांठ के चलते काफी दिनों तक बीमार रहे, लेकिन असफलता को भी मात दे दी।