श्योपुर. पत्नी को कंधे पर लादे, कभी झोलाछाप की क्लीनिक तो कभी सामुदायिक अस्पताल के चक्कर काटता पति, लेकिन उपचार के अभाव में पत्नी कमजोर हो रही है।
जबकि एक माह का नवजात शिशु मां की इस बीमार से अनजान है। कुछ यही दास्तां है कराहल ब्लॉक के ग्राम झिरन्या निवासी हंसराज आदिवासी की, जिसकी पत्नी ग्यारसा बाई गंभीर रूप से बीमार है।
हंसराज के मुताबिक लगभग एक माह पूर्व उसकी पत्नी ग्यारसा बाई (26) की जिला अस्पताल में डिलीवरी हुई और एक पुत्र को जन्म दिया।
एक घंटे पहले निरस्त हुआ भूमि पूजन समारोहहालांकि तब तो छुट्टी कराकर घर ले गए, लेकिन तभी से पत्नी दिनों दिन कमजोर होती चली गई और विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो गई। हंसराज ने बताया कि उसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कराहल में ले गया, लेकिन वहां से वापस भेज दिया। उसके बाद बाजार में भी दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला।
हंसराज के मुताबिक एक बार जिला अस्पताल में भी बता आया, लेकिन वहां भी कोई फायदा नहीं हुआ। बीती रात्रि को फिर इसकी तबीयत बिगड़ी है, लेकिन यहां कराहल में कोई देखने को तैयार नहीं हैं, ऐसे में मैं परेशान हूं।
साधन के अभाव में गोद में उठाकर ले जाने को मजबूरहंसराज अपनी पत्नी को ग्राम झिरन्या से कराहल तक तो बस में ले आया, लेकिन बसस्टैंड से अस्पताल और निजी क्लीनिकों पर पहुंचने के लिए साधन नहीं मिलने के कारण अपने कंधे पर लादकर घूम रहा है।