सिद्धार्थनगर. नशे के कारोबारियों के लिए भारत नेपाल सीमा हमेशा मुफीद रही है। कारोबारियों के लिए कभी चरस करोबारियों के लिए अर्निग जोन रही, लेकिन अब सीमा पर ब्राउन शुगर के कारोबारियों के लिए अर्निग जोन बनीं हुई है। पिछले दो वर्ष में डेढ़ सौ ग्राम ब्राउन शुगर सरहद के रखवालों ने बरामद किया।
नशे के कारोबारियों के लिए ब्राउन शुगर का धंधा काफी मुफीद है। नेपाल की तुलना में भारत में दोगुना दाम में बिकने की वजह से आज कल तस्कर उसी पर दांव लगा रहे हैं। नेपाल से चरस, गांजा और शराब की तस्करी आम बात है। छोटे-छोटे तस्कर भी इसे लाकर भारतीय सीमा में बेचने का काम करते हैं। बड़े तस्कर चरस के साथ ब्राउन शुगर के धंधे में लिप्त रहते हैं। चरस को लाने-ले जाने के लिए तस्करों को वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। उसे बाडी फिटिंग करा कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते हैं जबकि ब्राउन शुगर के धंधे में लाखों का वारान्यारा करने के लिए जेब का एक कोना ही काफी है। बड़े तस्कर आज कल नेपाल से ब्राउन शुगर की तस्करी कर रहे हैं। ब्राउन शुगर की तस्करी में रिस्क कम फायदा ज्यादा है।
जानकार बताते हैं कि नेपाल में एक ग्राम ब्राउन शुगर की कीमत 50 हजार रुपए है जबकि भारत में पहुंचने के बाद इसे एक लाख रुपए प्रति ग्राम में बेचा जाता है। छोटी सी पुड़िया में 5-10 ग्राम रखने पर किसी को अंदाजा नहीं हो सकता है कि उनके बगल में मौजूद व्यक्ति नशे का कारोबारी है। ऐसे लोग तभी पकड़े जाते हैं जब उनका कोई साथी फूट जाता है और मुखबिरी कर देता है। रविवार को एसएसबी द्वारा महादेव बुजुर्ग हाल्ट रेलवे स्टेशन के पास से एक युवक के पास से बरामद 50
लाख रुपए की ब्राउन शुगर भी मुखबिरी का नतीजा बताया जा रहा है।
गरीब युवाओं को कैरियर बना रहे कारोबारी
तस्कर नेपाल सीमा के आसपास रहने वाले गरीब युवाओं को चिह्नित कर उन्हें पहले अपने साथ घुमाते-फिराते हैं। यूथ के परिवार की रूपरेखा तैयार करने के बाद अगर वह उन्हें ईमानदार दिखता है तो पैसों का लालच देकर करियर की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते हैं।
कैरियर भी नहीं जानता असली मालिक कौन?
करियर से असली तस्कर की मुलाकात कभी नहीं हो पाती है। वह बिचौलिए के माध्यम से धंधे में उतरता है और उन्हें ही असली तस्कर मानकर चलता है। इन सबके बीच पकड़े जाने पर वह बिचौलिए का हुलिया तो बता सकता है लेकिन असली
का नाम व पता नहीं बता पाता है।