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संवेदनहीनता की हद: मुख्य द्वार पर लेटी रही फरियादी, फांदकर निकल गए अफसर

locationसीधीPublished: Dec 07, 2016 10:39:00 am

Submitted by:

suresh mishra

कलेक्टर समेत अन्य अधिकारियों ने दिखाई बेरुखी, अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता न होने की सरकारी दलील से
असहमत महिला जिला पंचायत  गेट पर लेट गई। जिसकी अनदेखी करते हुए अधिकारी न
केवल फांदकर अंदर-बाहर होते रहे, बल्कि थाने को सूचना देकर उसे पुलिस के
हवाले कर दिया।

sidhi news

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सीधी।
पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति सहित अन्य स्वत्व को लेकर आठ साल से संघर्ष कर रही महिला को लेकर बड़ी प्रशासनिक संवेदनहीनता सामने आई। अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता न होने की सरकारी दलील से असहमत महिला जिला पंचायत गेट पर लेट गई। जिसकी अनदेखी करते हुए अधिकारी न केवल फांदकर अंदर-बाहर होते रहे, बल्कि थाने को सूचना देकर उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

प्रशासनिक संवेदनहीनता की हद पार करती यह घटना मंगलवार दोपहर बाद की है। जिला पंचायत चल रही जनसुनवाई में सिहावल ब्लाक से रामकली वर्मा भी समस्या लेकर आई थी। उसकी शिकायत थी कि आठ साल से उसके परिवार को पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा रही है।

अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं
जब उसे बताया गया कि अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता उसे नहीं है तो वह बिफर गई। बाहर निकलकर वह विरोध जताने के लिए जिला पंचायत के मुख्य द्वार में जमीन पर लेट गई। इससे मौके पर अजीबोगरीब स्थिति निर्मित हो गई। महिला को उठाने की बजाय अधिकारी व शिकायतकर्ता काफी देर तक उसे फांदकर आते-जाते रहे। कलेक्टर अभय वर्मा भी मौजूद रहे पर ध्यान नहीं दिया।

ये है मामला
शिकायतकर्ता रामकली वर्मा के पति शंकर प्रसाद वर्मा पशु चिकित्सा विभाग मे पशु औषधालय सिहावल मे परिचारक के पद पर पदस्थ थे, सेवाकाल के दौरान वर्ष 2008 में उनकी मृत्यु हो गई थी। रामकली क्षतिपूर्ति की राशि व बच्चों की अनुकंपा नियुक्ति के लिए वर्षों से विभाग का चक्कर लगा रही है। पीडि़ता के अनुसार उसे विभाग द्वारा करीब दो लाख रूपए प्रदाय किए गए थे। साथ ही प्रति माह बतौर पेंशन राशि 8700 रूपए प्रदाय की जा रही है। लेकिन अनुकंपा नियुक्ति के साथ ही शासन के प्रावधान के अनुसार और अधिक क्षतिपूर्ति राशि मिलनी चाहिए जो नहीं दी जा रही है।

पीडि़ता का दावा
पीडि़ता का दावा है कि जब पति की मौत हुई थी उसी दौरान विभाग मे ही ड्रेसर के पद पर कार्यरत द्वारिका प्रसाद पटेल की भी मौत हुई थी, उसकी पत्नी का भी नाम रामकली है। विभाग द्वारा द्वारिका प्रसाद पटेल के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ दिया जा चुका है, लेकिन मेरे परिजनों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। अगर इसकी जांच करा ली जाए तो स्थिति साफ हो जाएगी।

पुलिस के हवाले किया
पति की मौत के बाद से परिवार के लालन-पालन को लेकर संघर्ष कर रही महिला के साथ संवेदनशीलता दिखाने की बजाय अधिकारियों ने पुलिस को व्यवधान उत्पन्न करने की सूचना ेदी। इस पर मौके पर पहुंचे कोतवाली थाने का बल उसे उठाकर थाना ले गया। करीब घंटे भर की पूछतांछ के उसे वापस जाने दिया गया।

ऐसी अनदेखी

जनसुनवाई मे शिकायत के बाद कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों द्वारा दिए गए तर्कों से असंतुष्ट रामकली वर्मा जिला पंचायत कार्यालय के मुख्य द्वार पर आकर लेट गई थी, कलेक्टर सहित अन्य अधिकारी उसे फांदकर बाहर निकल गए। जब इस संबंध मे कलेक्टर से चर्चा की गई तो उन्होंने साफ कहा कि मैंने महिला को मुख्य द्वार पर लेटे नहीं देखा। जब उन्हे बताया गया कि इसका वीडियो है तो उन्होंने कहा हो सकता है मैने ध्यान नहीं दिया हो। जबकि इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो पत्रिका के पास सुरक्षित है।
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