सीधी। शहर के बीचों-बीच बसी वार्ड-12 की बेलबाग केवटान बस्ती। यह इलाका सिर्फ कहने को शहरी है, हालात गांवों से भी बदतर हैं। बस्ती में न पक्की सड़क है न जल निकासी के समुचित इंतजाम। हल्की सी बारिश होते ही बाशिंदों की मुसीबत शुरू हो जाती है। कचरे चोक नालियों का पानी घरों में घुस जाता है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि उपेक्षा का दंश तो पूरे साल झेलना पड़ता है, लेकिन बारिश के चार माह और मुश्किल हो जाते हैं। जिम्मेदारों से कई बार समस्या बताई, लेकिन गरीबों की सुनता कौन है। उन्हें मोहल्ले की याद सिर्फ चुनाव के समय आती है। वोट के लिए नेता हर बार लंबे चौड़े आश्वासन देते हैं, लेकिन जीतने के बाद लौटकर नहीं झांकते।
सफाई के अभाव में नालियां चोक
केवटान बस्ती जैसे हालात बेलबाग के भी हैं। यहां नगर पालिका ने नालियां तो बनाई है, लेकिन सफाई कभी नहीं कराई जाती। ज्यादातर नालियां मिट्टी से पट गई हैं तो कुछ कचरे से चोक हैं। इनमें बजबजाती गंदगी मच्छर व बीमारियों को पनाह दे रही है। संक्रामक बीमारियों का भी खतरा बना हुआ है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं।
जल निकासी की व्यवस्था नहीं
शहर के बीचोबीच बसी इस बस्ती में जल निकासी की व्यवस्था नहीं है। कीचड़ भरी संकरी गलियों से लोगों को निकलना पड़ता है। हल्की बारिश होने पर ही घरों में पानी घुसने लगता है। रहवासियों ने बताया कि समस्या से जिम्मेदारों को कई बार अवगत कराया, लेकिन आश्वासन देकर भूल जाते हैं। लिहाजा, हालत नहीं सुधरे।
नपा प्रशासन को चाहिए कि हर मुहल्ले में पानी निकासी की व्यवस्था करे, जहां रसूखदार लोग रहते हैं, वहां तो हर इंतजाम करा दिए जाते हैं, लेकिन गरीबों की बस्ती में झांकने नहीं आते।
राजकुमार केवट, केवटान बस्ती