script…बेटी है…मर जाने दो | Daughter to be dead two | Patrika News
सीकर

…बेटी है…मर जाने दो

कहते हैं बेटी घर की रौनक होती है, लेकिन
अधिकांश घरों का इससे वास्ता कम ही नजर आता है। सीकर में ही एक मां ने अपनी पांच
बेटियों को जहर दे कर खुद

सीकरSep 03, 2015 / 02:50 am

कमल राजपूत

Sikar news

Sikar news

सीकर। कहते हैं बेटी घर की रौनक होती है, लेकिन अधिकांश घरों का इससे वास्ता कम ही नजर आता है। सीकर में ही एक मां ने अपनी पांच बेटियों को जहर दे कर खुद की जान दे दी। आज भी जब बेटी गंभीर बीमार हो जाए तो उसके लिए इलाज के लिए रूपए खर्च करने में परिवार पीछे हट जाता है। बेटे के लिए ऎसा नहीं होता। पत्रिका ने निजी अस्पतालों में इसकी पडताल की। बेटी को जन्म के बाद भी भेदभाव झेलना पड़ता है। यह इसकी बानगी है।

बेटी हुई तो रोने लगे परिजन
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रामसिंह का कहना है कि समाज में अब फिर भी बदलाव आ रहा है। वह बताते हैं कि लगभग दस वर्ष पहले लोसल में पदस्थापित थे। एक गांव के सबसे धनी परिवार के दो बेटी हो गई। जब शाम को वह उस घर के सामने से निकल रहे थे तो उस महिला की सास रोती हुई मिली। उन्होंने जब रोने का कारण पूछा तो बताया कि, पहले से ही एक पत्थर पड़ा था, अब दूसरा पत्थर फिर आ गया।

बेटियों को सरकारी अस्पताल..
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेन्द्र पारीक का कहना है कि बेटों को ज्यादातर लोग बीआईपी चिकित्सा दिलाने की कोशिश करते हैं। जबकि बेटी का नाम आते ही उनको सरकारी अस्पताल की याद आ जाती है।

चार पर एक है साहब…
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. इलियास बताते है कि कई परिवारों के लोग बेटों के बीमार होने पर कहते है कि साहब चार बेटियों पर अकेला भाई है…चाहे कुछ भी हो लेकिन बेटा का ढंग से इलाज करना। उन्होंने बताया कि समाज में बेटों का नाम आते ही ज्यादा चिन्ता महसूस की जाती है।

जिदंगी होगी तो जी लैसी..
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास जैन बताते है कि बेटियों की उपचार में कई परिवार भेदभाव बरतते हैं। इसी वजह से पांच वर्ष की आयु तक की कई बेटियों की जान चली जाती है। समय से पूर्व प्रसव होने पर बच्चों को मशीन में रखा जाता है। लेकिन बेटी होते ही अक्सर लोग यही कहते है कि जिदंगी होगी तो जी लैसी..।

केस एक
आप तो छुट्टी दे दो..
श्रीमाधोपुर निवासी ममता देवी (बदला हुआ नाम) ने जुलाई महीने में बेटी को जन्म दिया। बेटी के मुंह में पानी जाने के कारण उसे दो निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीसरे दिन परिजन उसे यह कहकर ले गए कि साहब…आप तो छुट्टी दे दो। यदि इसकी उम्र होगी तो बच जाएगी…। इसके बाद परिजन उसे गांव लेकर चले गए। वहां ज्यादा तबियत खराब होने पर राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।

केस दो
लापरवाही से बढ़ा कुपोषण
सीकर निवासी अनिता शर्मा के मार्च महीने में बेटी हुई। चिकित्सकों ने बेटी के खानपान का पूरा ध्यान देने को कहा। उन्होंने बेटी के पोषण का जरा भी ध्यान नहीं दिया। इस कारण बेटी कुपोषण से ग्रसित हो गई। ज्यादा बीमार होने पर परिजनों ने उसे जयपुर के जेके लोन अस्पताल में उपचार कराया।

अजय शर्मा
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो