प्रियरंजन भारती
सिवान। विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के ऐसे बागियों को मुकाम हासिल नहीं हो सका, जिन्होंने पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर दूसरे दल का दामन थाम लिया और टिकट पाने में कामयाब हो गए। टिकट वितरण होने के पहले तक इनकी निष्ठा अपने-अपने दलों के साथ थी, लेकिन जैसे ही टिकट से वंचित हुए इन्होंने विरोध का झंडा उठा लिया। जनता ने टिकट नहीं मिलने पर बगावत का झंडा बुलंद करने वालों को खारिज कर दिया। ऐसे में चुनाव में जो खर्च हुआ वह तो डूबा ही, साथ ही दल और नेता से भी नाता टूट गया। इन्हें न माया मिली और न राम।
जदयू के बागी मंत्री रामधनी सिंह ने सपा का दामन पकड़ कर दांव आजमाया मगर उन्हें मुंह की खानी पड़ी, तो राघोपुर में सतीश कुमार भाजपा के टिकट पर और पूर्व एलएलसी विनोद कुमार सिंह लोजपा के टिकट पर बाबूबरही से चुनाव लड़कर पराजित हुए।
पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र वाया हम भाजपा का टिकट लेकर झंझारपुर से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन उन्हें राजद प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा। पूर्व एमएलसी मिश्रीलाल यादव राजद को छोड़कर भाजपा के टिकट से अब्दुलबारी सिद्यिकी के खिलाफ मैदान में उतरे लेकिन उन्हें असफलता हाथ लगी। सुनील पांडे नेजदयू से अलग होने के बाद लोजपा का दामन थामा और पत्नी को तरारी से चुनाव मैदान में उतारा, वह हार गयी।
राजद के विक्षुब्ध जोगेश्वर राय निर्दलीय ही तेजप्रताप यादव के खिलाफ महुआ से ताल ठोका, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। राजद के ही पूर्व विधायक अजय कुमार बुलगानीन ने मोहिउद्दीनगर से, रामआशीष यादव हरलाखी से, पूर्व विधायक नैयर आजम मधुबनी से, पूर्व विधायक उमाकांत यादव बाबूबरही से, पूर्व मंत्री उदित राय छपरा से चुनाव लड़े लेकिन इन सभी को हार का सामना करना पड़ा।
मोतिहारी के कल्याणपुर से मनोज राय चुनाव लड़े लेकिन हारे। बख्तियारपुर में राजद नेता जितेन्द्र राय चुनाव मैदान में निर्दलीय उतरे। इससे यहां राजद को हार का सामना करना पड़ा और इसका फायदा भाजपा को मिला। राजद नेत्री नूतन पासवान मसौढी – सुरक्षित से हम के टिकट पर चुनाव लड़ी, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा।
पूर्व विधायक भाई दिनेश जगदीशपुर से और बड़हरा से राघवेन्द्र प्रताप सिंह भी बागी के रूप में चुनाव लड़े और हार गए। रश्मि वर्मा भाजपा से बगावत कर नरकटियागंज से चुनाव मैदान में उतरी लेकिन उन्हें असफलता हाथ लगी। इनके अतिरिक्त जदयू के वैसे बागी जिन्होंने हम के टिकट पर चुनाव लड़ा, उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इनमें महाचन्द्र प्रसाद सिंह, शकुनी चौधरी, वृशिण पटेल, लवली आनंद सहित अन्य शामिल हैं। लगभग तीन दर्जन बागियों को हार का सामना करना पड़ा।