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सपाइयों ने जलाए झोंपड़े! दहशत में आदिवासियों ने छोड़ा गांव, इंसाफ के लिये तहसील पर दे रहे धरना

locationसोनभद्रPublished: Dec 07, 2016 06:30:00 pm

सपा विधायक अविनाश कुशवाहा पर आरोपियों को शह देने का आरोप। मांची थानाक्षेत्र के मड़पा गांव का मामला।

Adivasi beaten brutally

Adivasi beaten brutally

सोनभद्र. यूपी के सोनभद्र में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर आदिवासियों को इस कदर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है कि आदिवासियों ने अपना घर गंवा दिया। अब आदिवासी इंसाफ के लिये सदर तहसील पर धरने पर बैठ गए हैं। सपा कार्यकर्ताओं पर ऐसा करने के लिये रॉबर्ट्सगंज सदर से विधायक अविनाश कुशवाहा पर शह देने का आरोप लगाय गया है। उनका आरोप है कि आरोपी सपा कार्यकर्ता हैं और इसी लिये उन पर पुलिस भी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। उनकी इस दबंगई के चलते दर्जन भर परिवार गांव छोड़ चुके हैं।



धरने पर बैठे आदिवासियों का आरोप है कि मांची थाना के मड़पा गांव में गिरिया जनजाति के कई लोगों का घर है। बीते चार दिसम्बर को ग्राम प्रधान ने गांव के कबुछ लोगों के साथ मिलकर उन लोगों के घरों को आग के हवाले करा दिया। इसमें दर्जनों परिवारों के सर से छत छिन गई। कड़कड़ाती ठंड में वह बेघर हो गए। उनका आरोप है कि यह सब सदर विधायक अविनाश कुशवाहा की शह पर सपा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने किया है। ग्राम प्रधान समेत वह लोग काफी समय से आदिवासियों की जमीन पर नजर गड़ाए थे। एक जाति के लोगों को कबजा दिलाने की नीयत से ही उनके झोंपड़ों में आग लगाई गई।




आदिवासी इसको लेकर विधायक और जिला प्रशासन से काफी नाराज रहे। उनका आरोप था कि इतना सबकुछ हो जाने के बाद भी सत्ता पक्ष के दबाव में आकर पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। आरोपियों पर कार्रवाई करने के बजाय पुलिस उल्टे उन्हें ही प्रताड़ित कर रही है। न्याय न मिलते देख पीड़ितों ने गांव छोड़ने की बात कही और अब वह सदर तहसील पर धरने पर बैठ गए। पीड़ित सहेन्द्र, बलिराम, मुन्निया, महेन्द्र व बुटनी समेत अगरिया जाति के वनवासियों ने कहा कि वह कड़कड़ाती ठंड में अपनी बीवी और मासूम बच्चों संग खुले आसमान के नीचे जीवन जीने को मजबूर हैं।




उधर इस मामले में अब राजनीतिज्ञ भी कूद गए हैं। भारतीय सामाजिक न्याय मोर्चा के अध्यक्ष यशवंत चैधरी, राष्ट्रीय लोकदल के जिलाध्यक्ष संतोष सिंह पटेल, पीयूसीएल के प्रदेश सचिव विकास शाक्य पीड़ितों के समर्थन में आ गए हैं। इन लोगों ने इसके लिये सपा सरकार को दोषी ठहराया है। नेताओं का कहना है कि एक ही जाति बिरादरी के लोग दबंगई करके आदिवासियों का शोषण कर रहे हैं, जो मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। आदिवासियों को वनाधिकार अधिनियम का लाभ तो मिलना ही चाहिये ताकि कोई भी सरकारी अधिकारी और भूमाफिया आदिवासियों का शोषण न कर सके।



उधर बीवी और छोटे-छोटे बच्चों के साथ तहसील के बाहर धरने पर बैठने की खबर सुनकर प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए मौके पर पुलिस उपाधीक्षक तत्काल पहुंचे और पीड़ितों को समझाने का प्रयास किया गया। आदिवासी बिना ठोस कार्यवाही के नीचे पर मानने को तैयार नहीं उन्हांने शर्त रखी है कि जब तक ठोस कार्रवाई नहीं होगी वह धरना नहीं खत्म करेंगे।
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