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भारत में मनोरंजन, इजराइल में नवाचार का जरिया है भारतीय फिल्म ‘3-ईडियट’

Published: Jul 15, 2017 01:16:00 pm

३-ईडियट फिल्म की सफलता इस बात में भी निहित है कि इजराइल के उद्यमी उससे सबक लेकर नवाचार की राह  पर बहुत आगे निकल गए हैं, लेकिन भारत में वह अब भी मात्र मनोरंजन की तरह देखा जाता है।

Israel

Idea and innovation

भारत में तकनीक विकास पर चर्चा होते ही लोग चीन का उदाहरण देते हैं, जबकि नवाचार में भारत को इजराइल जैसे छोटे से देश से सीखने की जरूरत है। सिलिकॉन वैली के बाद तेल अवीव दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप हब है। वहां नवाचार पहली शर्त है। स्टार्टअप सफलता दर भारत से कई गुना ज्यादा है। इसके पीछे आमिर खान की सुपरहिट बॉलीवुड फिल्म ‘3-ईडियट’ की बड़ी भूमिका है, जिसे वहां नवाचारियों को नया आइडिया डवलप करने के लिए दिखाया जाता है।

इजराइल भारत के लिए एक मॉडल इसलिए नहीं है, क्योंकि वहां पर बड़े पैमाने पर मानव संसाधनों की उपलब्धता है। अगर ऐसा होता तो चीन और भारत दुनिया को लीड करने की स्थिति में होते। इजराइल की आबादी मुश्किल से 86 लाख है, जबकि चीन की 1.38 अरब और भारत की 1.28 अरब। अगर स्टार्टअप की दुनिया के लीडर अमरीका की बात करें तो वहां की भी आबादी 32.5 करोड़ है, जो इजराइल जैसे देश से कहीं बहुत ज्यादा है। अगर स्टार्टअप की संख्या की लिहाज से बात करें, तब भी इजराइल में इन तीनों देशों के मुकाबले स्टार्टअप की संख्या बहुत कम है- 4,000 के करीब, जबकि अमरीका में 83,000 तो चीन और भारत में 10-10 हजार स्टार्टअप हैं। लेकिन इजराइल में कम स्टार्टअप होने के बावजूद वहां औसत सफलता दर दूसरे देशों की तुलना में बहुत ज्यादा है। यही वजह है कि अब अमरीका और चीन नवाचार के मामले में तेल अवीव की तरफ देखने लगे हैं।

ये है इजराइल के नवाचार उद्यमियों की खासियतें

ईकोसिस्टम

सिलिकॉन वैली के बाहर तेल अवीव स्टार्टअप हब का नायाब उदाहरण है। यहां पर युवा उद्यमी नवीनता को बेस बनाकर ही काम शुरू करते हैं। वहां की सरकार, कॉरपोरेटर्स, इजराइली डिफेंस, वेंचर कैपिटल फम्र्स सहयोगी की भूमिका निभाते हैं। इंडिया स्टार्टअप प्लान में भी ये सारी बातें शामिल हैं, पर धरातल पर युवाओं को हर काम अपने स्तर पर ही करना होता है। सहयोग हासिल करने के लिए कारोबारी विभागीय नियमों में ही उलझे रहते हैं।

सरकार का सहयोग

इजराइल की सरकार ने 1974 में ही ऑफिस ऑफ चीफ साइंटिस्ट (ओसीएस) का गठन किया था। सरकार 25 इनक्यूबेटर प्रोग्राम चलाती हंै। हैवी डोमेन, क्लीन टेक और मेडिकल डिवाइसेज के लिए हर साल सात लाख यूएस डॉलर का अनुदान दिया जाता है। पिछले साल स्टार्टअप को 30 मिलियन डॉलर से ज्यादा का ग्रांट जारी किया गया था।

इजराइल डिफेंस फोर्सेज

इजराइल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) नवाचार के मामले में बैकबोन की तरह है। सभी यहूदी उद्यमियों के लिए इसका हिस्सा बनना अनिवार्य है। इसके लिए आर्थिक, तकनीक, प्रशिक्षण, समस्या समाधान के स्तर पर सहयोग किया जाता है।

सबसे बड़ा वीसी

इजराइल दुनिया के सबसे बड़ी प्रति व्यक्ति वेंचर कैपिटल उपलब्धता वाला देश है। वहां 2015 में स्टार्टअप ने 5 अरब डॉलर तो 2016 के अंत तक 3 अरब अरब डॉलर से अधिक तक निवेश को बढ़ावा मिला। वीसी की 70त्न हिस्सेदारी है तो 14 अंतरराष्ट्रीय वीसी हैं।

विफलता से घबराते नहीं

वहां के उद्यमी विफलता से घबराते नहीं, बल्कि उसे सेलिब्रेट करते हैं। ताकि आगे बढऩे की राह और आसान हो सके। जबकि भारत में विफलता मिलते ही नवाचारी कारोबार वाइंडअप कर लेते हैं।

स्टार्टअप कल्चर

तेल अवीव में हर जगह स्टार्टअप हब कल्चर का नजारा दिखता है। भारत में बेंगलूरु उसी राह पर है, लेकिन उसका प्रभाव आम जनजीवन में दिखाई नहीं देता। वहां साइबर सिक्योरिटी, एडटेक, एआई, मेडिकल डिवाइसेज और सास बेस्ड टेक जैसी विधाओं पर जोर दिया जाता है।

क्यों देखते हैं भारतीय फिल्म ‘3-ईडियट’

वहां के उद्यमी ‘3 ईडियट’ फिल्म को स्टार्टअप ईकोसिस्टम से जोडक़र देखते हैं। युवा उद्यमियों को सीख दी जाती है कि मुश्किल मिशन को करने की चुनौती मिले तो उसे तुरंत करके दिखाएं। जैसे इस फिल्म में आमिर खान करके दिखाते हैं।

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