नई दिल्ली। सदन में चल रहे मॉनसून सेशन के दौरान लगातार कार्यवाही बाधित करने को लेकर सोमवार को कांग्रेस के 44 में से 25 सांसदों को पांच दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि इससे पहले भी कई बार एक या दो सांसदों को सदन की कार्यवाही से सस्पेंड किया गया है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में सांसदों का सस्पेंड होने की घटना पहली नहीं है।
पहला मामला 1989 में आया था। तब राजीव गांधी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। विपक्ष की मांग थी कि इंडिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए बने ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को सदन में पेश किया जाए। हालांकि सरकार इस रिपोर्ट को सदन में पेश नहीं करना चाहती थी, क्योंकि रिपोर्ट में संदेह की सूची इंदिरा गांधी के एक निकट सहयोगी की ओर किया था। ऎसे में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान 63 सांसदों को एक साथ निलंबित किया गया था।
वहीं 2013 में भी कुछ ऎसा ही हुआ। तेलंगाना में हुए हिंसक आंदोलन को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर रही। संसद में लगातार हंगामा होता रहा। ऎसे में 17 सांसदों को सत्र खत्म होने तक निलंबित कर दिया गया। इनमें आठ तेलंगाना समर्थक और नौ आंध्र समर्थक शामिल थे। इससे पहले 1987 में किशोर चंद्र देव को एक दिन के सस्पेंड किया गया, तो जतिनमॉय बोस के दो दिन के लिए। उसी साल अजय बिस्वाल को सत्र की बाकी अवधि के लिए सस्पेंड किया गया। 1966 में कपूर सिंह को भी सस्पेंड किया गया था।
Home / Special / दो बार संसद से निलंबित हो चुके हैं 80 सांसद