नई दिल्ली। 17 वर्ष पूर्व पाकिस्तान की नादानी ने करगिल युद्ध को जन्म दिया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली, लेकिन वो आज भी इससे सबक लेने को तैयार नहीं है। आज भी पाक के हुक्मरान भारत को धमकी देने से बाज नहीं आते। हमें न चाहते हुए भी युद्ध में उलझना पड़ता है। इसलिए यह जानना भी लाजिमी है कि 17 साल पहले के करगिल से हमने सीख ली है या नहीं? करगिल जैसे एक और युद्ध के लिए हमारी सेना की तैयारी कितनी है?kargil-war-1469184448.png” border=”0″>मारक क्षमता और बढ़ी करगिल युद्ध के दौरान एमआई-35 फाइटर प्लेन निष्प्रभावी साबित हुए थे। इसलिए भारत को मिग-27 और मिग-29 का प्रयोग करना पड़ा था। पहली बार भारत को यह अहसास हुआ कि उसके पास पर्वतीय क्षेत्रों में युद्ध करने के लिए हवाई मारक क्षमता का तंत्र बहुत कमजोर है। भारत ने सबक लेते हुए पिछले 17 वर्षों में अपनी हवाई मारक क्षमता में अपार वृद्धि की है। भारत का फ्रांस से रफेल सौदा, इजरायल से एसयू-30एमकेआई को अपडेट करने की योजना, बीएम-30 स्मर्च मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर एयरफोर्स को और मारक बनाएगा। 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर ने वायुसेना को करगिल जैसे युद्धों के लिए सक्षम बना दिया है। वायु सेना खुद का हेलिकॉप्टर एलसीएच विकसित कर रही है, जो इस तरह के युद्धों में कारगर होगा।निगरानी तंत्र भी मजबूत करगिल युद्ध में पाक सेना ने फायरफाइंडर वीपन का इस्तेमाल कर भारतीय सेना को बहुत परेशान किया था। इस कमी को दूर करने के लिए भारत ने अपने दो माउंटेन डिवीजन के लिए 145 एम-777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर्स डील कर लिए हैं। ये लाइट गन हैं, जिन्हें चिनूक और हैवी हेलीकॉप्टर के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है। यह करगिल जैसे युद्धों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। इसके अलावा भारत यूएवी जैसी आईएआई सर्चर और आईएआई हेरोंस से भी सेना को लैस करने में लगा है। कई अन्य कमजोर पक्षों पर ध्यान करगिल युद्ध में भारतीय सेना के कई कमजोर पहलू उभरकर सामने आए थे। इस बात के मद्देनजर आर्टिलरी वीपंस क्षमता में बढ़ोतरी, पर्वतीय क्षेत्रों में भारतीय सैनिकों के तत्काल तैनाती, बेहतर प्रशिक्षण पर जोर, राजनेता और सेना के बीच बेहतर तालमेल, पहले से ज्यादा आर्मी बेस, बंकर्स, एयरफील्ड तैयार करने पर जोर दिया गया है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे भारी बमबारीकरगिल की लड़ाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस युद्ध में वायुसेना के करीब 300 विमान उड़ान भरते थे। 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों ने रोजाना करीब 5,000 बम फायर किए थे। युद्ध में तोपखाने से 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली ऐसी लड़ाई थी, जिसमें किसी एक देश ने दुश्मन देश की सेना पर इतनी अधिक बमबारी की थी।भारत-पाक सैन्य क्षमता श्रेणी भारत पाक सैन्यकर्मी 13,25,000 6,20,000 एयरक्राफ्ट 2,086 923 हेलिकॉप्टर्स 646 306 हमलावर हेलिकॉप्टर्स 19 52 हमलावर एयरक्राफ्ट 809 394 फायटर एयरक्राफ्ट 679 304 टैंक 6,464 2,924 आर्टिलरी 7,414 3,278 मरीन 340 11 फ्लीट स्ट्रेंथ 295 197 सबमैरिन 14 05अब करगिल जैसी स्थिति को पैदा करना किसी के लिए मुमकिन नहीं है। क्योंकि भारत ने सियाचिन और एलओसी के क्षेत्र में हर उस गैप को भर दिया है जहां से पाकिस्तानी सेना के जवान घुसपैठिये के रूप में प्रवेश करते थे। – अशोक मेहता, रक्षा विशेषज्ञ