इंग्लैंड की क्लेमेंटाइन चैम्बन ने उत्तर प्रदेश में मिनी सोलर ग्रिड स्थापित करके लगभग 1,000 लोगों को काफी कम कीमत पर बिजली मुहैया कराई है। उनके इस प्रयासों से शाम ढलने के बाद भी गांव में उजाला बना रहता है।
सवा अरब की आबादी वाले मुल्क यानी भारत में हर पांचवें में से एक व्यक्ति बिजली की पहुंच से दूर है। भारत के ग्रामीण इलाकों की एक बड़ी आबादी आज भी बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से या तो वंचित है या फिर उन्हें पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाती। इस वजह से उन्हें सामाजिक व आर्थिक विकास का बराबरी का अवसर नहीं मिल पाता। कुछ समय पहले तक इसी स्थिति में था यूपी का सर्वांतर गांव। जहां अब करीब 100 घरों में बिजली की रोशनी चमचमा रही है। इसका पूरा श्रेय जाता है इंग्लैंड की एस्टीम्ड इम्पीरियल कॉलेज की स्टूडेंट क्लेमेंटाइन चैम्बन को। उनकी ही पहल से यह असंभव कार्य आज संभव हो पाया।
रोशन कर दिया पूरे गांव को
क्लेमेंटाइन केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में पीएचडी फाइनल ईयर की छात्रा हैं। उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से बायोमास पावर में मास्टर डिग्री हासिल की है। उन्होंने भारतीय उद्यमी अमित रस्तोगी के साथ मिलकर 2015 में ‘ऊर्जाÓ सोशल स्टार्टअप की स्थापना की। इसका उद्देश्य ऐसे गांवों को रोशन करना था, जिन गावों में बिजली अभी तक नहीं पहुंची है। साथ में वे स्थायी आर्थिक विकास भी मुद्दा था। उन्होंने मिनी सोलर ग्रिड स्थापित करके लगभग 1,000 लोगों को बिजली मुहैया कराई।
खेती-किसानी में भी हुई आसानी
सर्वांतर गांव के अधिकतर लोग खेती-किसानी और पशुपालन जैसे काम करते हैं। बिजली आ जाने से उन्हें काफी सहूलियतें हुई। सोलर पावर प्लांट लग जाने से किसानों को सिंचाई के लिए डीजल पंप पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अब सिंचाई सोलर पंप से जाती है। इसके अलावा बल्ब जलाने, फोन चार्जिंग व पंखे चलाने के लिए सोचना नहीं पड़ता। क्लेमेंटाइन का लक्ष्य आने वाले समय में ऐसे ही कुछ और गांवों में सोलर पावर प्लांट स्थापित करना है। वह कहती हैं कि इससे आटा चक्की, सिलाई, वॉटर सप्लाई जैसे छोटे-छोटे उपक्रमों को लाभ हो सकेगा।
10,000 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन
एक आकलन के अनुसार, बीते ३ साल में देश में सौर ऊर्जा का उत्पादन चार गुना बढ़ कर १० हजार मेगावॉट हो गया है और आने वाले ३ साल में 20 हजार मेगावॉट हो जाएगा। इस कारण अब विदेशी कंपनियों की निगाहें भारत पर लगी हुई हैं।