2000 से पहले शायद ही किसी ने ई-हेल्थकेयर के बारे में सुना हो, लेकिन आज युवाओं की एक बड़ी तादाद है इस क्षेत्र में करियर बनाने में लगी है।
ललित फुलारा
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स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और अभाव ने ई-हेल्थ क्लिनिक्स के लिए खुद-ब-खुद रास्ता तैयार कर दिया। जैसे ही इंटरनेट की पहुंच बढ़ी ऑनलाइन डॉक्टरी सलाह की संस्कृति भी फलने-फूलने लगी। बड़ी तादाद में उच्च और मध्यवर्गीय युवा अपनी शारीरिक और मानसिक समस्याओं के लिए इंटरनेट पर डॉक्टरी सलाह ले रहे हैं।
आधुनिकता के इस दौर में डॉक्टर और मरीज के बीच का रिश्ता वर्चुअल हो गया है। पढ़े-लिखे युवा भी चिकित्सकों के सामने बैठकर अपनी समस्या बताने में शर्म महसूस करते हैं। ऐसे में युवा अपनी समस्याओं के निदान के लिए ऑनलाइन रास्ता खोज रहे हैं।
यहां युवाओं की पहचान गोपनीय रहती है। किसी भी नाम के ईमेल, मैसेज और फोन के जरिये वे अपनी समस्या खुलकर डॉक्टर के सामने रख सकते हैं। 2014 में यह इंडस्ट्री 4.9 करोड़ डॉलर की, 2015 में पांच गुना बढ़कर 26.2 करोड़ डॉलर और अभी तक 105 डील्स के तहत 91 हेल्थ केयर स्टार्टअप ने 15.6 करोड़ डॉलर का फंड जुटाया है।
इंजीनियर ने खोला टेलीमेडिसीन स्टार्टअप…
इंजीनियर अभिषेक द्विवेदी ने इसी साल टेलीमेडिसिन स्टार्टअप ‘अल्टरनाकेयर’ शुरू किया है। इससे 100 से ज्यादा डॉक्टर इस प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं। रोजाना लगभग 250 लोग परामर्श ले रहे हैं। 15 कर्मचारी उनके साथ काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि किसी भी वक्त 888-26-44444 डायल कर डॉक्टर से बात कर सकते हैं। यहां होम्योपैथिक और एलोपेथिक दोनों तरह के डॉक्टर जुड़े हैं। वह बताते हैं कि यूपी में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली देखने के बाद उनके मन में इस तरह का प्लेटफॉर्म शुरू करने का विचार आया।
फोन पर दे रहे हैं जरूरतमंद लोगों को सलाह
क्रिटिकलकेयर यूनिट विशेषज्ञ डॉ रवि रंजन प्रतिदिन पचासों मरीजों को फोन पर डॉक्टरी सलाह देते हैं। रवि आईआईटी कानपुर में केमिकल इंजनीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ डॉक्टरी पेशे में आए। वह बताते हैं, डॉक्टरों के प्रति गुस्से ने ही मुझे डॉक्टर बनाया है। मुझे जब सांस की तकलीफ होती थी तो कोई डॉक्टर ऐसा नहीं था, जो फोन पर सलाह दे सके। अब मैं ऐसा कर रहा हूं, क्योंकि मुझे इसमें सुकून मिलता है।
हॉर्ट अटैक से बचाएगा स्टार्टअप…
ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन शहर में साइमन मैक्ब्राइड, मार्लिन वर्नफील्ड, ल्योनोर रेयान और सतु मार्जोमा ने मिलकर कार्डिहैब हेल्थ एप बनाया है। यह एप मरीजों को हॉर्ट अटैक के खतरे से बचाता है। एप हर हफ्ते दिल की बीमारी से संबंधित डेटा डॉक्टर तक पहुंचाता है, ताकि मरीज का सही इलाज हो सके। कार्डिहैब एप मरीज और फिजिशियन को एक दूसरे से जोड़ता है। मरीज इस एप को अपने फोन पर इंस्टॉल करते हैं। हर साल 54 हजार ऑस्ट्रेलियाई लोगों को हॉर्ट अटैक होता है।
डॉक्टर नहीं ‘डॉक्टहर्सँ
पा किस्तानी टेली मेडिसीन स्टार्टअप डॉक्टहर्स शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने में जुटा है। एक साल पहले कराची में डॉक्टहर्स का पहला क्लिनिक खुला। इसके संस्थापक इफत जफर और डॉ सारा खुर्रम हैं। इफत कहते हैं, अगला भविष्य डिजिटल हेल्थ का ही है। यह स्टार्टअप अपनी कमाई का 25 फीसदी नर्सों और सामुदायिक हेल्थ वर्कर को देता है। 2016 के अंत तक 50 और क्लिनिक खोलने की तैयारी है। इसने अपने साथ नर्सों और हेल्थ वर्करों को जोड़ रखा है।
युवाओं की चिंता है डाइट और हेल्थ
लाइबरेट ई-हेल्थ एप को 40 लाख यूजर डाउनलोड कर चुके हैं। लाइबरेट के सह-संस्थापक सौरभ अरोड़ा के अनुसार, 50 फीसदी युवा मानसिक और सेक्स संबंधी समस्याओं से संबंधित सलाह मांगते हैं। महिलाओं से जुड़ी समस्याओं पर सबसे ज्यादा सवाल पूछे जाते हैं। लड़कियां डिप्रेशन और डाइट को लेकर सबसे ज्यादा परामर्श लेती हैं। दिल्ली आईआईटी के पूर्व छात्र रह चुके अरोड़ा बताते हैं कि भारत में डॉक्टरों की संख्या काफी कम है। इस वक्त लाइबरेट से 1 लाख से ज्यादा डॉक्टर जुड़े हैं।
देश में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते ई-हेल्थ क्लिनिक लोगों की जरूरत बनते जा रहे हैं। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इस देश में ऐसे भी लाखों लोगों के पास इंटरनेट नहीं है, ऐसे लोगों तक पहुंच बनाना ही इसकी सबसे बड़ी चुनौती है। हेल्थ सेक्टर को व्यवस्थित तंत्र और संगठित क्षेत्र बनाने की जरूरत है।
डॉ मनीष कुमार (न्यूरोसर्जन)
डॉक्टर & मरीज से बात करना, उसे समझाना, डॉक्टर-मरीज के रिश्ते को मजबूत करता है। साथ ही डॉक्टर का अनुभव काफी अहम है, जो मरीज को सामने देखकर बीमारी के साथ ही कई और जरूरी सलाह भी देता है। मेडिकल साइंस में सब 2 और 2 चार जैसा सीधा नहीं होता कि आप सिर्फ फोन पर बात कर के किसी का इलाज कर सकें। मुझे नहीं लगता कि यह ई-हेल्थ स्टार्टअप कोई बहुत बढिय़ा आईडिया है।
डॉ अरुण कपूर, (ऑर्थोपेडिक)
हेल्थकेयर इंडस्ट्री पर निवेशकों का दांव
पिछले दो सालों में स्वास्थ्य से जुड़े स्टार्टअप्स में 31.2 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। साल 2014 में यह इंडस्ट्री 4.9 करोड़ डॉलर की थी। 2015 में इसमें पांच गुना बढ़ोतरी के साथ 26.2 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ। इसी साल की बात करें तो अभी तक 105 डील के तहत 91 हेल्थ केयर स्टार्टअप ने 15.6 करोड़ डॉलर का फंड जुटाया है।
टॉप निवेशक
-अमरीकी वेंचर कैपिटल फर्म एसेल पार्टनर्स
-कैलिफॉर्निया की वेंचर कैपिटल फर्म सिकोइया
-भारतीय निवेशक कंपनी विल्ग्रो
(एक्सलर8 सर्वे )
रिसर्च
– 2016 में एपल ने हेल्थ डेटा एग्रीगेटर कंपनी गलियम्प्से का अधिग्रहण किया। गलियम्प्स हेल्थ डेटा पर फोकस करने वाला स्टार्टअप है। हालांकि कंपनी की तरफ से इस अधिग्रहण का खुलासा नहीं किया गया।
– इससे पहले एपल 2014 में हेल्थकिट फ्रेमवर्क लॉन्च कर चुका था।
-नोकिया ने हेल्थ डिवाइस बनाने वाली फ्रेंच कंपनी विथिंग्स का 170 मिलियन यूरो में अधिग्रहण किया। इसके अलावा नोकिया ई-हेल्थ स्टार्टअप भी खरीद रही है।
-जापानी कंपनी एसिक्स ने फीटनेसकीपर का अधिग्रहण किया।
-सेन फ्रांसिस्को की मैपबॉक्स ने फीटनेस ट्रैकिंग एप का अधिग्रहण किया
-अमरीका की हॉस्पिटल कॉरपोरेशन मोबाइल हर्टबीट के अधिग्रहण की घोषणा की। एचसीए अमरीका और ब्रिटेन में 169 अस्पतालों और 116 सर्चरी सेंटर चलाती है।
-2000 में पहली बार ई-हेल्थ टर्म का यूज किया गया
-जर्मन शोधकर्ता गुंथर आईसेनबैच ने ई-हेल्थ को दवा, संचार और सूचना का मिश्रण बताया।
-भारत में ई-हेल्थ के प्रचार और नियामक के लिए राष्ट्रीय ई-हेल्थ अथॉरिटी बनी है।
-4.1 फीसदी जीडीपी खर्च किया जाता है स्वास्थ्य पर भारत में