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जानिये, कैसे दो आकाशगंगाओं की टक्कर ने सौरमंडल में बनी दो आंखों की दुर्लभ आकृति

दक्षिण अफ्रीका (अटकामा) में खगोलविदों ने दो आकाशगांगा के बीच टक्कर से बने दुर्लभतम छवि को अलमा टेलीस्कोप से कैद कर लिया जो शोधार्थियों के लिए शोध का विषय हो सकता है।

Nov 05, 2016 / 03:51 pm

Dhirendra

Colliding galaxies create stunning eyes

Colliding galaxies create stunning eyes

नई दिल्ली. अंतरिक्ष में बड़े स्तर पर दो आकाशगंगाओं के बीच हुई टक्कर ने दो आंखों की दुर्लभ खूबसूरत आकृति को जन्म दे दिया। इस सुनहरे पल व आकृति को कैद करने वाले खगोलविदों का कहना है कि यह एक अपवादिक (एक्सेप्शनल ) घटना है, जिसे समझना और टेलीस्कोप से कैद करना इससे पहले संभव नहीं था।



अलमा ने खींची आकाशगंगा की दुर्लभ छवि
खगोलविदों ने इस अनमोल पलों के दौरान अंतरिक्ष में बने दुर्लभ आकृति को समय गवाये बगैर अलमा टेलीस्कोप की सहायता से कैद कर लिया। यह अब दुनिया भर के लोगों के लिए दुर्लभतम कृति बन गया है। खासतौर से दुनिया भर के खगोलविदों व इस विषय में रुचि रखने वाले युवा छात्रों के लिए। इस चमकते और चकाचौंध से युक्त सर्पिलाकार आकाशगंगा की छवि को दक्षिण अफ्रीका के अटाकामा रेगिस्तान में कैद करने में खगोलविदों को सफलता मिली। जिस समय इस घटना को अलमा टेलीस्कोप से कैद किया गया उस समय इन दो आकाशगंगा की दूरी कैनिस मेजर कॉस्टीलेशन (नक्षत्र) से 114 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर थी। इसमें ईमेज में पृथ्वी का सबसे चमकता तारा नाईट स्काई सिरियस भी शामिल है। दरअसल आईसी 2163 और एनजीसी 2207 नाम की ये दो आकाशगंगाएं दो से एक होने की दौर में हैं।



खगोलीय घटनाओं को जानने का मिला अवसर
कोलम्बस स्थित ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के खगोलविद डा. माईकल कौफमैन ने इस खोज के बारे में आस्ट्रोफिजिकल जर्नल में चर्चा की है। उन्होंने जर्नल में लिखा है कि दो आकाशगंगाओं के बीच टक्कर कोई असामान्य घटना नहीं है। लेकिन कुछ आकाशगंगाएं ऐसी होती हैं जो आंखों जैसी या आक्यूलर शेप की होती हैं। उनका कहाना है कि इस नई घटना ने इंसान को इस बात को जानने का अपवावादिक (एक्सेप्शनल ) मौका दिया कि जब दो आकाशगंगाएं आपस में टकराती हैं तो क्या होता है? उन्होंने कहा कि इन दो आकाशगंागा में से एक आकशगंगा के आईलिड का बाहरी हिस्सा अंदर की ओर प्रति सेकेंड 100 किमी से ज्यादा गति से मोशन में था। हालांकि इस गति में तुरंत गिरावट दर्ज की गई और कुछ समय बाद इसकी गति अपने आप असंतुलित हो गई। अंत में इसने खुद को आकाशगंगा के चक्रण की प्रक्रिया में केंद्र की ओर जाने से अलग कर लिया।



टकराने से बनता है चौकाने वाला आईलिड
डा. कौफमैन ने इस बारे में जर्नल में लिखा है कि न केवल हमने आईलिड के अंदर तेजी से कम होते गैस का पता लगाया, बल्कि इस बात की भी जानकारी हासिल की कि यह बाहरी हिस्से से आंतरिक हिस्से की तरफ कैसे मूव करता है। इसके दबाव का मापन के दौरान यह पता चला कि दो आकाशगंगा जब आपस में टकराती हैं तो कैसे गैस का अंबार लग जाता है। साथ ही एक अंडे के आकार का क्लस्टर बनने के बाद यह चकाचौंध से युक्त आईलिड वाले दुर्लभतम छवि में तब्दील हो जाता है।



कैद करना आसान नहीं
डा. कौफमैन ने कहा कि अलमा टेलीस्कोप ने हमें इस बात को जानने में भी मदद की कि आईलिड में आण्विक गैस का वेग ठीक उसी दिशा में था जिसका अनुमान खगोलविदों ने कंप्यूटर मॉडल के आधार पर पहले ही लगाया लिया था। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि इस कठिन घटना का परीक्षण इससे पहले संभव नहीं था। 

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