2007 में कार्यकाल पूरा होने के बाद कलाम ने एक बार फिर से राष्ट्रपति पद लेने में दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन उस समय केन्द्र में सत्ताधारी यूपीए और लेफ्ट पार्टियों ने उनके नाम का समर्थन नहीं किया। सर्वसम्मति न होने के चलते कलाम ने अपना नाम वापिस ले लिया। इसके बाद यूपीए ने प्रतिभा पाटील को और एनडीए ने भैंरो सिंह शेखावत को अपना प्रत्याशी बनाया, चुनाव में पाटील विजयी रही और देश की पहली महिला राष्ट्रपति चुनी गई।
2012 में भी डॉ. कलाम का नाम राष्ट्रपति चुनाव के लिए आया था। उनकी उम्मीदवारी पर भाजपा ने कहा था कि अगर तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समर्थन करे तो वे कलाम के नाम का समर्थन करेंगे। लेकिन बाद में सब पलट गए और उनके नाम का केवल तृणमूल कांग्रेस ने समर्थन किया। इसे देखते हुए कलाम ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से खुद को अलग कर दिया।