इस तरह के बहाने बनाकर सालों से दिल्ली के लुटियन जोन के सरकारी बंगलों में जमे रहे नेता
नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद जैसे वीवीआईपी सालों से दिल्ली के लुटियन जोन स्थित सरकारी बंगलों में जम रहे हैं। कोई परिवार के किसी सदस्य की बीमारी का हवाला देता रहा है तो किसी ने पिता की याद में बंगले को मेमोरियल बनवाने की मांग कर डाली। ऐसे कई मौके आए जब भारतीय राजनीति के दिग्गजों ने इस तरह के बहाने बनाकर बंगले छोड़ने में अानाकानी की।
…जब अारएलडी नेता अजीत सिंह अड़े
नरेंद्र मोदी ने सरकार बनते ही नया नियम बनाया था। इस्तीफा दे चुके या कार्यकाल पूरा कर चुके नेताओं को तुरंत बंगाली खाली करने के निर्देश दिए गए। किराया भी बढ़ाया गया। एनडीए सरकार जैसे ही साल 2014 में सत्ता में आई तो राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजीत सिंह को दिल्ली स्थित सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया गया। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह चौधरी अड़ गए थे। उन्होंने सरकार से कहा कि 12 तुगलक रोड स्थित बंगले को उनके पिता चौधरी चरण सिंह की याद मेमोरियल घोषित कर देना चाहिए। पिछले दो दशक से वे यहां जमे हुए थे। उन्होंने लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार के बंगले को आधार बनाया। उन्होंने कहा था कि मीरा कुमार के बंगले को उनके पिता बाबू जगजीवन राम की स्मृति में मेमोरियल बनाया गया था।
बीमारी का हवाला दिया
एक ताजा अारटीअाई के अनुसार, शहरी विकास मंत्रालयों को पांच साल में करीब 25 पूर्व सांसदों ने पत्नी की बीमारी का हवाला दिया। इन्होंने बीमारी के कारण बंगला न खाली करवाने का अनुरोध किया। हाल में यूपी के पूर्व सांसद ने एेसा बहाना बनाकर सरकारी फ्लैट पर कब्जा कर लिया था। साल 2012 में उन्हें शहरी विकास मंत्रालय ने नोटिस जारी किया था। इन्होंने कहा कि एम्स में इलाज चल रहा है। दो साल से पहले बंगला खाली नहीं कर सकते। इसके बाद मामला कोर्ट में गया तो तब जाकर पूर्व सांसद ने फ्लैट छोड़ा। बहरहाल, नेता अपने कार्यकर्ताओं से विरोध प्रदर्शन कराकर सरकारों पर दबाव बनाते रहे हैं। अजीत सिंह को जब नोटिस मिला था तो आरएलडी के करीब एक हजार कार्यकर्ता यूपी से दिल्ली पहुंच गए थे। संसद पर विरोध जताया। मंत्रालय ने पानी-बिजली की सप्लाई रोकी तो अजीत सिंह ने पिछले साल सितंबर में बंगला छोड़ा।
ये नेता भी सालों तक जमे रहे
– रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख रामदास अठावले ने भी लोधी रोड स्थित बंगला कई नोटिस के बाद छोड़ा था। वह अब केंद्र सरकार में मंत्री हैं।
– इस साल फरवरी में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को दिल्ली के मोती बाग स्थित टाइप-4 फ्लैट छोड़ना पड़ा। वो एनडीए सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट गए थे मगर उन्हें राहत नहीं मिली थी।
– कांग्रेस की नेता अंबिका सोनी और कुमारी शैलजा को भी बंगले खाली करने पड़े थे। कोर्ट ने राहत नहीं दी थी। इन दोनों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 25000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
मोदी सरकार ने बदले नियम
– इस्तीफा देने के एक माह तक पूर्व मंत्री सरकारी आवास में रह सकते हैं।
– 1.5 लाख से दो लाख रुपये प्रति माह किराया लिया जाता था पहले बंगले में ओवरस्टे करने पर।
– इस साल जून में सरकार ने ओवरस्टे के नियम बदले। पहले एक महीने में किराये के साथ उसका 10 फीसदी अतिरिक्त पैसा लिया जाएगा।
– एक माह के बाद भी अगर कोई ओवरस्टे करता है तो हर महीने 20-20 फीसदी पैसा बढ़ता चला जाता है।
– अतिरिक्त 10 लाख रुपये तक एक माह का किराया ओवरस्टे के दौरान वसूलने का नियम है।