आतंरिक सुरक्षा के खतरे को भांपते हुए गुजरात सरकार राज्य पुलिस को संदेह के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का पुलिस को देना चाहती है अधिकार।
नई दिल्ली. विभिन्न स्तरों पर मतभेदों की वजह से सरकारी कामकाज का सफलतापूर्व संचालन में होने वाली बाधाओं को देखते हुए गुजरात सरकार एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है। आगामी विधानसभा सत्र में इसे सदन के टेबल पर रखा जाएगा। इसका मकसद पुलिसकर्मियों व सामान्य प्रशासन को संदेश के आधार पर भी लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार पुलिस व प्रशासन को देना है।
संदेह के आधार किसी को गिरफ्तार कर सकेगी पुलिस
अगर यह कानून विधानसभा में पास होता है और राष्ट्रपति इसे स्वीकृति दे देते हैं तो पुलिस व नागरिक प्रशासन को केवल शंका के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार मिल जाएगा। इसी मकसद से एक नये कानून का प्रस्ताव गुजरात सरकार विधानसभा के आगामी सत्र में लाने पर विचार कर रही है। इससे गुजरात पुलिस को यह शक्ति लि जाएगी कि अगर गुजरात के आंतरिक सुरक्षा के लिए कोई खतरा हो सकता है तो वह किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार तक कर सकती है।
पहले तीन बार गुजरात सरकार कर चुकी है प्रयास
सबसे पहले इस कानून को गुजरात सीटीओसी नाम से लाया गया था। इसी कानून को लेकर यूपीए सरकार और तत्कालीन गुजरात के सीएम मोदी सरकार के बीच तकरार भी रहा। अपने तीन प्रयासों में गुजरात सरकार इसे राष्ट्रपति से स्वीकृति लेने में असफल साबित हुई। इससे पहले के तीन राष्ट्रपति इस पर अपनी स्वीकृति देने से मना कर चुके हैं। वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी गुजरात कंट्रोल ऑफ टेररिज्म एंड आर्गेनाइज्ड क्राइम बिल को पिछले वर्ष मानवाधिकारवादी संगठनों और विपक्षी पार्टियों के विरोध करने पर स्वीकृति देने से इंकार कर चुके हैं। 2003 में सबसे पहली बार नरेंद्र मोदी ने इसे पास कराने का प्रयास किया था। प्रेजिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम तो इस कानून को दो बार रिजेक्ट कर चुके हैं। उनका मानना था कि इससे लोगों के मानव अधिकारों का उल्लंघन होगा। फिलहाल इस कानून को गुजरात प्रोटेक्शन ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (जीपिसा) नाम से आगामी विधानसभा सत्र में सदन पटल पर रखने की योजना है।