B’day: अपनी कविताओं से देशभक्ति जगा गए थे मैथिलीशरण गुप्त
3 अगस्त 1886 को ब्रिटिश कालीन गुलाम भारत में जन्मे गुप्त को हिंदी के अग्रणी रचियताओं में गिना जाता
नई दिल्ली। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का नाम सुनते ही राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देने वाली हिंदी कविताएं और उपन्यास याद आ जाते हैं। आज ही के दिन 3 अगस्त 1886 को ब्रिटिश कालीन गुलाम भारत में जन्मे गुप्त को हिंदी के अग्रणी रचियताओं में गिना जाता है।
बचपन में स्कूली पढ़ाई से घृणा करने वाले मैथिलीशरण गुप्त की पढ़ाई घर में ही हुई। उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और बंगाली भाषा का अच्छा ज्ञान था। मात्र 12 वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने ब्रजभाषा में कविता लिखना शुरू कर दिया था। इसी दौरान उन्होंने भारत भारती नामक राष्ट्रीय पत्रिका का प्रकाशन किया। उनके काव्य संग्रह जयद्रथ वध तथा रंग में भंग से उन्हें लोकप्रियता मिली। 1931 के दौरान गुप्त महात्मा गांधी के संपर्क में आए।
महात्मा गांधी के सम्पर्क से वह आजादी की जंग से जुड़ गए। उनकी कविताओं, नाटक और कहानियों से देश भर में राष्ट्र के लिए मर-मिटने की भावना पैदा हुई। उन्होंने स्वप्नवासवदत्ता, प्रतिमा, तिलोत्तमा, निष्क्रिय प्रतिरोध, अनघ, यशोधरा जैसी साहित्यिक कृतियां रच हिन्दी साहित्य को अमर साहित्य दिया।
देश भर में हिंदी और देशप्रेम की शिक्षा देने वाले मैथिलीशरण गुप्त को पभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। गुप्त का 12 दिसम्बर 1964 को 78 वर्ष की उम्र में देहावसान हो गया।
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