बचपन से ही पत्थर फेंकने में आगे रहा है मसरत आलम
अलगाववादी नेता मसरत आलम ने कहा, मैं बचपन से पत्थर फेंकने वाला रहा हूं
श्रीनगर। हाल ही में हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता और मुस्लिम लीग के चेयरमैन 44 वर्षीय मसरत को लगभग साढ़े चार साल के बाद जेल से रिहा किया गया। अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई के आदेश जिस समय दिए गए थे, उस समय राजनीतिक में भूचाल आ गया था। जम्मू-कश्मीर सत्ता में भागीदार पीडीपी सरकार ने आलम की रिहाई के आदेश दिए थे। मसरत ने 2010 में एंटी इंडिया आंदोलन चलाया था, जिसमें 112 लोगों की पथराव के दौरान मौत हो गई थी।
1980 से चला आ रहा है सिलसिला
कश्मीर में पत्थर फेंक कर आंदोलन करने का सिलसिला 1980 से चला आ रहा है। ये श्रीनगर के मीरवाइज के गढ़ में आम था। 2010 में मसरत ने कहा था, “मैं बचपन से पत्थर फेंकने वाला रहा हूं। उस समय पत्थर फेंक कर ही विरोध प्रदर्शन किया जाता था। 1989-90 के समय बंदूक आई। बहुत सी मौतें हुई क्योंकि प्रदर्शनकारी निहत्थे थे। आप उन्हें उनका विरोध प्रदर्शन नहीं करने देते हैं, उनपर हमला करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह बदला नहीं लेंगे। अमरीका में लोग जूते, कोका कोला टिन और कूड़ा फेंकते हैं। राजस्थान में गुज्जर पत्थर फेंकते हैं, जब उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं।”
कब हुई थी पहली बार गिरफ्तारी
श्रीनगर के जैण्डरा इलाके में रहने वाले मसरत आलम 1990 से लेकर अबतक लगभग 19 साल जेल में रह चुके हैं। 10 नवंबर 1971 में जन्मे मसरत को पहली बार दो अक्टूबर 1990 को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए), 1978 के तहत गिरफ्तार किया गया था। इस कानून के तहत जिले के डीएम या संभाग आयुक्त किसी की भी गिरफ्तारी के आदेश दे सकते हैं अगर उनसे राज्य की सुरक्षा या शांति भंग होने का खतराा हो। लेकिन गिरफ्तारी के 12 दिनों के अंदर राज्य के गृह मंत्रालय से उसकी मंजूरी लेनी पड़ती है। राज्य की सुरक्षा को खतरा होने की स्थिति में दो साल और शांति भंग होने की आशंका होने की स्थिति में एक साल तक जेल में बंद रखा जा सकता है। लेकिन 2012 में इस कानून में एक संशोधन कर ये मियाद क्रमश: छह महीने और तीन महीने कर दी गई।
Home / Special / बचपन से ही पत्थर फेंकने में आगे रहा है मसरत आलम