अर्थव्यवस्था का कमजोर होना, फीस महंगी होना और स्टूडेंट वीसा के कड़े नियम अहम वजहें हैं।
लंदन. ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन (ईयू) से बाहर निकलने के फैसले का असर भारतीय छात्रों पर पड़ा रहा है। ब्रिटेन सरकार जल्द स्टूडेंट वीसा के नियम कड़े बनाने जा रही है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था भी कमजोर हुई है। इन कारणों से ब्रिटेन में पढ़ाई की इच्छा रखने वाले भारतीय ब्रिटेन से इतर अन्य देशों में विकल्प ढूंढ रहे हैं।
अमरीका में ट्रंप के अाने की अाहट से भी रुचि घटीइंडियन स्टूडेंट्स मोबिलिटी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पिछले दो सालों में ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए आने वाले भारतीयों की संख्या तेजी से गिर रही है। न सिर्फ ब्रिटेन बल्कि अमरीका में भी छात्रों की दिलचस्पी घट रही है। हालांकि अमरीका में न जाने वाले छात्र ज्यादा नहीं हैं। शिक्षा से जुड़ी संस्थाएं कहती हैं कि अमरीका में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप चुनाव प्रचार के दौरान इमिग्रेशन के नियमों को सख्त करने पर जोर देते रहे हैं। वो साफ कह चुके हैं वह अमरीका में बाहरी लोगों को काम उपलब्ध कराने के विरोध में हैं। अमरीका की इंटरचेंज फर्म का कहना है कि ट्रंप के विचारों को देखते हुए अब भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए कम आवेदन कर रहे हैं। अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो दुनियाभर के छात्रों के लिए दिक्कतें शुरू होंगी।
न्यूजीलैंड बन रहा पढ़ाई का नया गढ़ फिलहाल अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षा के लिए छात्र ज्यादा जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी में आवेदन करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वहां की सरकार ने स्टूडेंट वीसा और रहने के नियमों में नरमी बरती है। नए आंकड़े बताते हैं कि न्यूजीलैंड में काम करने के लिए विदेशी लोगों में सबसे अधिक भारतीय हैं। यही नहीं, इनमें से कई वहीं पर हमेशा के लिए बस चुके हैं। एजुकेशन न्यूजीलैंड के सीईओ ग्रांट मैकफर्सन कहते हैं कि स्किल, तकनीक और कारोबार के लिए न्यूजीलैंड बेहतर देश है। सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।
जेब खर्च के हिसाब से फैसला ले रहे छात्र ब्रिटेन के यूरोपीन यूनियन से अलग होने के बाद ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी की फीस में 15 से 40 गुना इजाफा हुआ है। विशेषकर बाहरी छात्रों की फीस बढ़ी है। खर्च बढऩे के कारण लोग न्यूजीलैंड, रुस और चीन की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि फ्रांस और जर्मनी में भी तेजी से भारतीय आ रहे हैं। बता दें कि फ्रांस और जर्मनी को पढ़ाई के लिए अच्छे देशों में गिना जाता है। जर्मन एकेडमी एक्सचेंज सर्विस के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि न सिर्फ ब्रिटेन बल्कि यूरोप के अन्य देशों में पढ़ाई का खर्च बढ़ने लगा है।