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जानिए धारा 66ए को चुनौती देने वाली श्रेया के बारे में

Published: Mar 24, 2015 02:59:00 pm

दिल्ली की रहने वाली श्रेया सिंघल ने नवम्बर 2012 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने आईटी एक्ट की धारा 66 ए को यह कहते हुए निरस्त कर दिया है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतं त्रता के अधिकार का उल्लंघन होता है। इस फैसले को अपने पक्ष में करवाने का श्रेय जाता है एक 24 वर्षीय लड़की को।

ये है दिल्ली की रहने वाली श्रेया सिंघल। श्रेया ने नवम्बर 2012 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बनी धारा 66ए को संविधान की भावना के विरूद्ध होने के कारण हटाने की बात कही गई। इसे देखकर मुख्य न्यायाधीश अल्तमास कबीर की कोर्ट ने क हा कि उन्हें आश्चर्य है कि अब तब इस धारा को किसी और ने चुनौती क्यों नहीं दी।

इस बारे में श्रेया का कहना है कि, मैं एक विद्यार्थी हूं, इसलिए अपनी भावनाएं बताना चाहती हूं। अपने विचारों को व्यक्त करना रोजमर्रा का की काम है। अगर विचारों पर रोक लगती रही, तो ह मारा समाज मूक हो जाएगा।

श्रेया ने दिल्ली के वसंत वैली स्कूल में पढ़ाई की और ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी से एस्ट्रोफिजिक्स की पढ़ाई के लिए वह यूके गई। जुलाई 2012 में वह वापस दिल्ली आई और लॉ की पढ़ाई के लिए आवेदन किया।

श्रेया के दादा एचआर गोखले हैं जो पूर्व कानून मंत्री हैं। उनकी दादी सुनंदा भण्डारे जज हैं और उनकी आंटी नमिता भण्डारे एक अंग्रेजी अखबार में कॉलम लिखती हैं।
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