script है न गजब की बात! इंदौर के बिना हाथ वाले विक्रम को मिला ड्राइविंग लाइसेंस | Man without arms drives past barriers, gets a licence in invalid category | Patrika News

 है न गजब की बात! इंदौर के बिना हाथ वाले विक्रम को मिला ड्राइविंग लाइसेंस

Published: Oct 04, 2016 11:08:00 am

Submitted by:

Dhirendra

आपको यह सुनकर आश्चर्य हो सकता है कि इंदौर निवासी विक्रम अग्निहोत्री को हाथ नहीं होने के बावजूद वाहन चलाने का लाइसेंस कैसे मिल गया, लेकिन ऐसा हुआ है, क्योंकि वो पैर से वाहन चलाते हैं और ऐसा करने वाले वो भारत में पहले व्याक्ति भी हो सकते हैं।

agnihotri gets driving license wirthout arms

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इंदौर. इस खबर को पढऩे के बाद आपको अचरज महसूस करने की जरूरत नहीं है कि इंदौर निवासी 45 वर्षीय मोटिवेशनल स्पीकर को हाथ नहीं होने के बावजूद, ड्राइविंग लाइसेंस कैसे मिल गया? लेकिन यह इसलिए संभव है, क्योंकि विक्रम अग्रिहोत्री पैर से वाहन चलाते हैं। इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि वो भारत के पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें पैर से वाहन चलाने के बावजूद ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया गया है।




दोनों पैर से चलाते हैं वाहन
दरअसल 45 वर्षीय विक्रम अग्रिहोत्री इंदौर के रहने वालें हैं। वह एक मोटिवेशनल स्पीकर हैं। शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। उनके पास हाथ नहीं है। इसके बावजूद एक गैस एजेंसी चलाते हैं। वर्तमान में वो एलएलबी कर रहे हैं। वह कहते हैं जब मैं खुद वाहन चलाता हूं तो आजाद महसूस करता हूं। मैं अपने काम के लिए किसी पर निर्भर नहीं होना चाहता। उनके पास एक ऑटौमैटिक गियर शिफ्ट कार है। वह उसके स्टियरिंग व्हील को दायें पाव से पकड़ते हैं और बाएं पांव को एक्सीलेटर पर रखकर वाहन चलाते हैं।



मैं हैंड सिगनल नहीं दे सकता
उन्होंने 25 अक्टूबर, 2015 को लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। स्थायी लाइसेंस जारी करने के लिए परिवहन विभाग के अधिकारियों ने ड्राइविंग टेस्ट पास करने को कहा। लेकिन टेस्ट होने से पहले ही आवेदन को इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि मैं हैंड सिगनल नहीं दे सकता। अग्ग्रिहोत्री कहते हैं, विभागीय अधिकारियों का ये बयान मेने लिए किसी अत्याचार से कम नहीं था।




नियमों के अनुरूप डिजाइन कराया वाहन
इसके बावजूद मैंने धैर्य नहीं खोया। इसके बाद मैंने ट्रांसर्पार्ट कमिश्नर ग्वालियर के पास लाइसेंस के लिए आवेदन दिया। उन्होंने ने भी तकनीकी कारण बताते हुए आवेदन को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि आपका कार दिव्यांग लोगों के हिसाब से नियमों के अनुरूप डिजाइंड नही है। जबकि सभी को पता है कि एक सामान्य कार को नियमों के अनुसार ढालना आसान हनीं है। खैर काफी मशक्कत के बाद मैंने अपने वाहन को दिव्यांग लोगों के वाहन के अनुरूप तैयार करवाया।




इनवैलिड कटेगरी में मिला लाइसेंस
वह कहते हैं, गाड़ी डिजाइंड होने के बाद मैं केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिला और केंद्रीय परिवहन राज्य मंत्री को लाइसेंस के लिए आवेदन भी दिया। 30 सितंबर को मेरा लाइसेंस इनवैलिड कटेगरी में मिल गया। अब मैं खुश हूं। इंडिया में सबकुछ संभव है, पर जद्दोजहद के बाद।




लेह तक यात्रा करने की तमन्ना
अग्निहोत्री कहते हैं मई, 2015 में मुझे लर्नर लाइसेंस मिला था। तब से लेकर अब तक मैं इंदौर की सड़कां पर 14,500 किलोमीटर का सफर अपने वाहन से सफर कर चुका हूं। इस दौरान कोई बुरी घटनाएं नहीं हुई। अब मेरी योजना है कि अपने दम पर लेह तक एक बार गाड़ी चलाते हुए जाऊं। लेकिन यह काम मैं बॉर्डर पर शांति बहाल होने के बाद करूंगा। 
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