पहले मुस्लिम सुधारवादी थे मिर्जा गुलाम अहमद
मुस्लिम समाज में मोहम्मद साहब को ही अल्लाह का दूत माना जाता है। उनकी कही हर बात
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मुस्लिम समाज में मोहम्मद साहब को ही अल्लाह का दूत माना जाता है। उनकी कही हर बात को मुस्लिमों में ईश्वर की ही आज्ञा माना जाता है। लेकिन मिर्जा गुलाम अहमद ने उनके बाद पहले व्यक्ति थे जिन्होंने खुद को पैगंबर घोषित किया।
मुस्लिम संवत की 14वीं सदी में, 13 फरवरी 1835 को एक मुस्लिम परिवार में जन्में गुलाम अहमद मिर्जा अहमदिया सम्प्रदाय के प्रवर्तक थे। उन्होंने अपने आपको जीसस का पुर्नअवतार बताते हुए मसीहा घोषित किया। उनके इस दावे को लेकर मुस्लिम समाज में फूट हो गई और एक नया मुस्लिम सम्प्रदाय अहमदिया बना। नए सम्प्रदाय के नियम कुरान और हदीस पर ही आधारित थे लेकिन उसमें सभी मनुष्यों की एकता पर बल दिया गया और जिहाद के लिए स्पष्ट मना किया गया। उनके इस कार्य पर कट्टर मुस्लिम समाज उनके खिलाफ हो गया और उन पर ब्रिटिश शासकों से मिले होने का आरोप लगाया गया।
उन्होंने अपने आपको साबित करने के लिए कई सबूत दिए परन्तु ये सबूत सभी मुस्लिमों को उनके आखिरी नबी होने का यकीन नहीं दिला सके और मुस्लिम समाज में अहमदियों को गैर-मुस्लिम और काफिर माना गया। नए धर्म का प्रचार करते हुए उन्होंने 73 वर्ष की उम्र में आज ही के दिन 26 मई 1908 को अपनी अंतिम सांस ली।
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