9 दिनों में रेप मामले में सजा सुनाने वाले जज की कॉलेजियम को चुनौती
Published: Jun 29, 2015 10:08:00 am
न्यायाधीश जगदीश बहेती ने वर्ष 2013 में सिर्फ नौ दिनों में एक रेप मामले का ट्रायल कर
अभियुक्त को 14 साल की सजा सुनाई थी, उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम को चुनौती दी है
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के एक न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा प्रमोशन के लिए अपने नाम की संस्तुति न किए जाने को चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि उनसे जूनियर जजों के हाईकोर्ट में प्रमोशन पर तब तक रोक लगाई जाए जब तक कि उनके खिलाफ चल रही जांच का निपटारा नहीं हो जाता। ये न्यायाधीश मध्य प्रदेश जिला एवं सत्र न्यायाधीश जगदीश बहेती हैं जिन्होंने वर्ष 2013 में सिर्फ नौ दिनों में एक बलात्कार मामले का ट्रायल कर अभियुक्त को 14 साल की सजा सुनाई थी।
59 वर्षीय बहेती वर्तमान में पारिवारिक न्यायालय में प्रिंसिपल जज हैं। उन्होंने अपने अधिकारों की संरक्षण करते हुए सितम्बर 2014 में जारी चार्जशीट पर भी सवाल खड़े किए हैं। दो दशक से अधिक समय से न्यायाधीश पद पर रहने वाले बहेती को चार्जशीट इस आधार पर दी गई है कि उन्होंने एक आपराधिक मामले में कुछ अभियुक्तों को गलत तथ्यों के आधार पर एन्टीसिपेटरी जमानत दे दी थी।
न्यायाधीश बहेती की याचिका पर सुनवाई जुलाई में मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू के न्यायालय में होगी। यह मामला ऎसे समय सामने आया है जब शीर्षस्थ न्यायालय में कॉलेजियम को हटाकर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग पर बहस चल रही है। बहेती के मामले में कॉलेजियम ने अपनी संस्तुति नियुक्ति आयोग की अधिसूचना से पहले की थी।
यह दूसरा मौका है जब न्यायाधीश बहेती ने अपने अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर रूख किया है। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में उनकी पहली याचिका को हाईकोर्ट में भेज दी थी। हाईकोर्ट ने कॉलेजियम की संस्तुति पर रोक लगाने की न्यायाधीश बहेती की याचिका खारिज कर दी थी।