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मोदी सरकार में नहीं आए “अच्छे दिन” दाल ने मारा दोहरा शतक

Published: Oct 19, 2015 03:58:00 pm

महंगाई दूर करने और अच्छे दिन लाने के वादे के साथ सत्ता में आई नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए दाल की कीमतों पर काबू पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

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नई दिल्ली। “दाल रोटी खाना और प्रभु गुण गाना” अब यह कहावत भी गरीब से छीनती दिख रही है। अरहर दाल सोमवार को 200 रूपये प्रति किलो से पार चली गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार दाल ने 200 रूपये का आंकड़ा सोमवार को पार किया हालांकि बाजार में पहले ही यह भाव चल रहा था। टमाटर और प्याज के बाद थाली से अब दाल भी दूर हो गई। महंगाई दूर करने और अच्छे दिन लाने के वादे के साथ सत्ता में आई नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए दाल की कीमतों पर काबू पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।



मोदी सरकार बनने के बाद यह हुआ महंगा
अरहर की दाल, एक साल पहले इसका भाव 85 रूपये किलो था जो अब दोहरा शतक लगा चुकी है। अरहर के भावों ने मई के बाद रफ्तार पकड़ी। मई में यह 140 रूपये प्रति किलो थी जो अगले पांच महीने में 60 रूपये और महंगी हो गई। दाल के अलावा पिछले एक साल में दूध, रेल किराया और प्याज की कीमतों ने ताव खाया।
साल 2014 में दूध 40 रूपये किलो प्रति लीटर था जो अब 46-50 रूपये प्रति लीटर है। वहीं प्याज का तड़का भी दुर्लभ हो गया, हालांकि पिछले दो-तीन महीने में इसकी कीमतें नीचे आई हैं। एक साल पहले प्याज 100 रूपये प्रति किलो पहुंच गया था जो अब 40-60 रूपये किलो के बीच बिक रहा है। वहीं रेल यात्रा भी अब आम आदमी की जद से बाहर जाती दिख रही है हालांकि सरकार का दावा है कि ऎसा करके वह सेवाएं बढ़ा रही है।



एकदम से क्यों बढ़ गए दाम
खाद्य पदार्थो के दाम बढ़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह है खराब मानसून। मानसून के दौरान दलहन की उपज होती है लेकिन इस साल मानसून सामान्य से भी कम रहा। इसके चलते दलहन उत्पादक राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात में बहुत कम पैदावार हुई। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और खपत वाला देश है। पिछले साल खराब मानसून के चलते दाल के उत्पादन में 12 प्रतिशत यानि 2.40 मिलियन मीट्रिक टन का उत्पादन कम हुआ। वहीं इस बार 10 लाख टन उत्पादन कम हुआ। जमाखोरी, दाल की बढ़ती कीमतों की दूसरी बड़ी और तात्कालिक वजह है। देश में दाल पर्याप्त मात्रा में मौजूद है लेकिन ज्यादा पैसों के लालच में जमाखोर बाजार में इसकी कमी बता रहे हैं।



सरकार ने क्या किया
देश हर साल 40 लाख टन दाल का आयात करता है। कम उत्पादन के चलते सरकार ने इस साल 50 लाख टन दाल का आयात किया लेकिन दाल बंदरगाह पर ही अटकी पड़ी है। पिछले साल मंगाई गई 43 लाख टन दाल को अगस्त-सितंबर तक बाजार तक पहुंचा दिया गया था लेकिन इस साल अब तक ऎसा नहीं हो पाया है। मुंबई और चेन्नई पर तीन माह से दाल की खेप पड़ी है लेकिन आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु को छोड़कर किसी राज्य ने दाल नहीं मंगाई है। इसके पीछे बड़ा कारण है दाल माफिया। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार प्याज की एकदम से बढ़ी कीमतों में प्याज माफिया ने 8000 करोड़ की कमाई कर ली थी।



मोदी सरकार बनने के बाद यह हुआ सस्ता
मोदी सरकार बनने के बाद ऎसा नहीं है सब कुछ महंगा हो गया है। रोजमर्रा की कई चीजें सस्ती भी हुई है। इनमें प्रमुख है चीनी और पेट्रोल-डीजल। पिछले साल इन्ही दिनों में चीनी 39 रूपये के भाव थी जो अब 30-32 के बीच है। वहीं पेट्रोल-डीजल पिछले साल के मुकाबले तीन से पांच रूपये प्रति लीटर सस्ते हैं।
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