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चलो चलें वहां, जहाँ लोगों को नहीं है मरने की इजाज़त

लॉन्गेयर के नाम से भी पहचाने जाने वाले इस खूबसूरत शहर
की तलाश अमेरिकी जॉन लॉन्गेयर ने की थी। अब ये शहर एक बड़ा टूरिस्ट्स
प्वाइंट बन गया है

Nov 14, 2016 / 03:16 pm

Parul

longyearbyen

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हम जहाँ रहते हैं वहां की अपनी कुछ खाशियत होती हैं, अपनी कहानी और अपने नियम कानून होते हैं। जो जगह , उनके नियम कानून और कहानियां हमें पसंद आती हैं हम उन्हें स्वीकारते हैं, लेकिन जो पसंद नहीं आते, उन पर अपना गुस्सा या नाराजगी जाहिर करते हुए दूसरी जगह के कायदे-कानूनों से तुलना करते हैं। लेकिन अगर हम आपको बताएं कि आप जिस जगह पर रह रहे हों, वहीं पर आपको मरने की इजाजत नहीं दी जाए तो? तब आप क्या सोचेंगे?


जी हां! हम बात कर रहे हैं एक खूबसूरत देश नार्वे के खूबसूरत शहर लॉन्गेयरबेन की, जो अपनी कई खासियतों के चलते दुनियाभर में मशहूर है। दुनिया के सबसे उत्तरी छोर पर बसे इस शहर की आबादी लगभग 3000 है। स्वाबलार्ड आइलैंड का ये अकेला ऐसा शहर है जहां पर जमने वाली ठंड के बावजूद लोग रह रहे हैं। यहां माइनस टेम्परेचर में जिंदगी जितनी मुश्किल है, उतना ही मुश्किल पोलर बीयर से निपटना है। सबसे खास बात तो ये है कि यहां मरने की इजाजत नहीं है।


आप चौंकिए मत, यहाँ कोई अलौकिक शक्तियां नहीं हैं, जिसके कारण यहाँ लोग नहीं मरते! हम बताते हैं आपको कि ऐसा क्यों है! दरअसल यहां कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाए या मौत के करीब हो, तो उसे आखिरी दिनों के लिए प्लेन या शिप की मदद से नॉर्वे के दूसरे हिस्सों में भेज दिया जाता है। वजह यह है कि शहर में एक बहुत ही छोटा कब्रिस्तान है। पिछले 70 साल में यहां तब से कोई भी दफनाया नहीं गया, जब से पता चला कि पहले दफनाई गईं लाशें अब तक जमीन में घुल भी नहीं पाई हैं। जमने वाली ठंड के चलते लाशें यहां खराब ही नहीं होतीं। वैज्ञानिकों ने कुछ साल पहले यहां एक एक मृत शरीर के टिशू, सैम्पल के तौर पर लिए थे, जिसमें अब भी इन्फ्लुएंजा के वायरस मिले। इसके चलते यहां नो डेथ पॉलिसी लागू कर दी गई है।

लॉन्गेयर के नाम से भी पहचाने जाने वाले इस खूबसूरत शहर की तलाश अमेरिकी जॉन लॉन्गेयर ने की थी। अब ये शहर एक बड़ा टूरिस्ट्स प्वाइंट बन गया है और बड़ी संख्या में यहां रिसर्च का काम भी किया जा रहा है। यहां साल में चार महीने सूरज नहीं निकलता और 24 घंटे रात रहती है। यहां सड़कों के कोई नाम नहीं हैं और इन्हें नंबर्स से जाना जाता है। ट्रांसपोर्टेशन के लिए यहां सिर्फ स्नो स्कूटर का इस्तेमाल होता है।



अपनी सुरक्षा खुद ही करते हैं स्थानीय लोग-

यहां हर वक्त पोलर बीयर का खतरा रहता है। इनसे निपटने के लिए सभी को हाई पावर राइफल (बंदूक) रखना जरूरी है। यहाँ लगभग प्रति व्यक्ति के लिए एक पोलर बीयर का खतरा है, मतलब जितनी जनसंख्या है उतने ही संख्या में पोलर बीयर यहाँ मौजूद हैं। हालांकि, यहां घर या ऑफिस के अंदर यहां राइफल रखने की इजाजत नहीं है।

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