scriptबांग्लादेश में तीन दशक बाद एक भी हिंदू नहीं बचेगा, किताब में किया दावा | Professor claims in his book, there will be no hindu in bangladesh after 30 years | Patrika News

बांग्लादेश में तीन दशक बाद एक भी हिंदू नहीं बचेगा, किताब में किया दावा

Published: Nov 23, 2016 09:37:00 am

ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अब्दुल बरकत के अनुसार औसतन 632 हिंदू रोजाना बांग्लादेश छोड़ रहे है

Dhaka Attack

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ढाका। बांग्लादेश से लगातार हो रहा हिंदुओं का पलायन एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। अगर इसी प्रकार पलायन होता रहा तो अगले 30 साल में बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा। ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अब्दुल बरकत के अनुसार औसतन 632 हिंदू रोजाना बांग्लादेश छोड़ रहे है।

एक अखबार की रिपोर्ट में प्रोफेसर बरकत के हवाले से कहा गया है कि पिछले 49 साल में पलायन का जिस तरह का पैटर्न रहा है वो उसी दिशा की ओर बढ़ रहा है। अगले तीन दशक में बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा। बरकत ने अपनी किताब पॉलिटिकल इकोनॉमी ऑफ रिफॉर्मिंग एग्रीकल्चर एंड लैंड वॉटर बॉडीज इन बांग्लादेश में ये बात कही है। ये किताब 19 नवंबर को प्रकाशित होकर आई है।

हर वर्ष 2 लाख से ज्यादा का पलायन
प्रोफेसर बरकत ने ढाका यूनिवर्सिटी में किताब के विमोचन के दौरान बताया कि 1964 से 2013 के बीच करीब 1 करोड़ 13 लाख हिंदुओं ने धार्मिक भेदभाव और उत्पीडऩ की वजह से बांग्लादेश छोड़ा। ये आंकड़ा औसतन हर दिन 632 का बैठता है। इसका अर्थ ये भी है कि हर साल 2,30,612 हिंदू बांग्लादेश छोड़ रहे हैं।

लगातार बढ़ रहा है आंकड़ा
प्रोफेसर बरकत ने अपने 30 साल के शोध के दौरान पाया कि अधिकतर हिंदुओं ने 1971 में बांग्लादेश को आजादी मिलने के बाद फौजी हुकूमतों के दौरान पलायन किया। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दिनों में हर दिन हिंदुओं के पलायन का आंकड़ा 705 था। 1971-1981 के बीच ये आंकड़ा 512 रहा। वहीं 1981-1991 के बीच औसतन 438 हिंदुओं ने हर दिन पलायन किया। 1991-2001 के बीच ये आंकड़ा बढ़कर 767 हो गया। वहीं 2001-2012 में हिंदुओं के हर दिन पलायन का आंकड़ा 774 रहा।

60 फीसदी हिंदू भूमिहीन
ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अजय रॉय ने कहा कि बांग्लादेश बनने से पहले पाकिस्तान के शासन वाले दिनों में सरकार ने अनामी प्रॉपर्टी का नाम देकर हिंदुओं की संपत्ति को जब्त कर लिया। स्वतंत्रता मिलने के बाद भी निहित संपत्ति के तौर पर सरकार ने कब्जा जमाए रखा। इसी वजह से करीब 60 फीसदी हिंदू भूमिहीन हो गए।

रिटायर्ड जस्टिस काजी इबादुल हक ने इस मौके पर कहा कि अल्पसंख्यकों और गरीबों को उनके जमीन के अधिकार से वंचित कर दिया गया। प्रोफेसर बरकत ने अपनी किताब को बचपन के उन दोस्तों को समर्पित किया है जो बुनो समुदाय से थे और अब उनका नामलेवा भी बांग्लादेश में नहीं बचा है।
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