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पुलिस प्रतिष्ठा का सवाल न बनाती तो रूक सकता था आतंकी हमला

सेना और पुलिस में तालमेल का भारी अभाव, एसपी मामला सेना को सौंपने में हुई देरी, अंधेरे के कारण सेना नहीं चला सकी सर्च आप्रेशन

Jan 02, 2016 / 11:04 am

Rakesh Mishra

punjab attack

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संजीव शर्मा, चंडीगढ़। महज पांच माह के भीतर एक ही क्षेत्र में दूसरा बड़ा आतंकी हमला होने के बाद भी पंजाब पुलिस लोगों की सुरक्षा के साथ समझौता करने बाज नहीं आ रही है। गुरदासपुर हमला हो या पठानकोट हमला दोनों ही घटनाओं को पंजाब पुलिस ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बनाया है। पंजाब पुलिस अगर अपनी प्रतिष्ठा की बजाए प्रदेश के लाखों लोगों के हितों के साथ जोड़ती तो इस हमले को रोका जा सकता था।

सेना ने एसपी अपहरण मामले को हैंडओवर करने को कहा था
गुरदासपुर और पठानकोट हमले के दौरान कदम-कदम पर पंजाब पुलिस और सेना में तालमेल का भारी अभाव दिखाई दिया है। सोमवार को पंजाब पुलिस के एस.पी. के अपहरण के बाद जिस जगह से उनकी गाड़ी बरामद हुई है वह एयरबेस से केवल आधा किलोमीटर की दूरी पर है। पंजाब पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया जबकि सेना ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पंजाब पुलिस से इस घटनाक्रम को हैंडओवर किए जाने की बात कही थी, लेकिन पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने इनकार कर दिया।

हैंडओवर मिलने में देरी, सेना नहीं चला पाई सर्च ऑपरेशन
पूरा दिन पंजाब पुलिस के आला अधिकारी इसी मंथन में जुटे रहे कि एसपी अपहरण मामले की जांच में सेना की मदद ली जाए या अपने स्तर पर ही निपटा जाए। शाम छह बजे चंडीगढ़ पुलिस मुख्यालय से निर्देश मिलने के बाद पठानकोट पुलिस ने एसपी अपहरण मामले की जांच को सेना की मदद मांगी। कागजी कार्रवाई पूरी करने में पुलिस व सेना को समय लग गया। इस बीच अंधेरा होने के कारण सेना आसपास के गावों में सर्च आप्रेशन नहीं कर सकी। सेना हेलीकाप्टर और ग्रांउड प्रैक्टिस के माध्यम से एकसाथ सर्च करना चाहती थी। जिसके चलते इसे मंगलवार सुबह तक रोक दिया गया। इस बीच आतंकी अपना आप्रेशन करने में कामयाब हो गए।

पिछली आतंकी घटना में भी तालमेल में दिखी थी कमी
सोमवार को अगर पंजाब पुलिस समय रहते सेना की मदद से सर्च आप्रेशन चलाती तो शायद यह घटना होने से रोकी जा सकती थी। इससे पहले पिछले साल जुलाई माह के दौरान गुरदासपुर में हुए आतंकी हमले के दौरान भी पंजाब पुलिस तथा सेना में तालमेल का भारी कमी दिखी थी। तत्कालीन पुलिस महानिदेशक सुमेध सैनी ने उस समय सेना को आप्रेशन से रोकते हुए खुद इसकी कमान अपने पास रखी थी।

गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद पीछे हटी पंजाब पुलिस
आज सुबह पठानकोट में हुए हमले के दौरान भी पंजाब पुलिस करीब एक घंटे तक अगले मोरचे पर रही। सूत्रों की मानें तो पंजाब पुलिस एयरफोर्स के गरूड़ विंग के साथ मिलकर इस आप्रेशन को चला रही थी लेकिन आतंकी पुलिस पर हावी रहे। इस बीच गृह मंत्रालय के आला अधिकारियों ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और इसके बाद पंजाब पुलिस को पीछे करके सेना ने मोर्चा संभाला। गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद पंजाब पुलिस ने सेना के जवानों को कवर करते हुए उनका सहयोग किया।

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