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रेलवे की इंटरनेट आधारित प्रणाली के लिए चुनौती बने व्हाट्सएप ग्रुप

ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण समय की कमी से जूझते दैनिक यात्रियों के समूह एक
दूसरे साथियों को व्हाट्सएप के जरिए ट्रेनों की यथास्थिति से अवगत कराते रहते हैं

Dec 21, 2015 / 11:16 am

सुनील शर्मा

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लखनऊ। कोहरे के कारण अस्तव्यस्त रेल संचालन के बीच ट्रेन की यथास्थिति पता करने के लिये रेलवे की इंटरनेट आधारित प्रणाली को कानपुर-लखनऊ के बीच चलने वाले दैनिक यात्रियों की स्वविकसित प्रणाली जोरदार चुनौती पेश कर रही है।

कानपुर से लखनऊ के बीच हर रोज करीब 82 यात्री ट्रेनों का संचालन होता है जिसमें दैनिक यात्रियों की सुविधा के लिये विशेष रूप से मेमो ट्रेन शामिल हैं। इंटरनेट पर आधारित रेलवे इंक्वारी सिस्टम के जरिये ट्रेनों की सही स्थिति का पता लगाने की सुविधा मौजूद है जिसके लिये रेलवे की वेबसाइट में जाकर ट्रेन नम्बर और स्टेशन डालना होता है।

ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण समय की कमी से जूझते दैनिक यात्रियों ने इसका विकल्प ढूंढ निकाला है। व्हाट्सएप के जरिये दैनिक यात्रियों के समूह एक दूसरे साथियों को ट्रेनों की यथास्थिति से अवगत कराते रहते हैं। मसलन कानपुर पहुंचने वाली ट्रेन पर बैठा यात्री व्हाट्सएप के जरिये मैसेज भेजता है कि फलां ट्रेन स्टेशन के आउटर पर है या फलां स्टेशन से चल चुकी है।

कानपुर लखनऊ एमएसटी ग्रुप नाम से व्हाट्सएप के जरिये करीब 500 से अधिक दैनिक यात्री एक दूसरे से जुड चुके हैं और ट्रेनों की स्थिति जानने का यह तरीका एमएसटी धारकों के बीच खासा लोकप्रिय हो रहा है। ट्रेनों की वस्तुस्थिति जानने के इस नायाब तरीके की लोकप्रियता का कारण यह भी है कि इसमें ट्रेन नम्बर और स्टेशन आदि के नाम डालने का कोई झंझट नही और यात्री बगैर समय गवाएं झट से अपनी ट्रेन पकड सकता है।

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