अब टेक्नोलॉजी कंपनियां ऑटोमेशन व रोबोटिक्स के जरिए मच्छरों से होने वाली जिका, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों से लोगों को निजात दिलाने का काम करेंगी।
माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प व गूगल की स्टार्टअप कंपनी अल्फाबेट व अन्य कंपनियों के लाइफ साइंसेज डिवीजन यूएस पब्लिक हेल्थ ऑफिशल्स के साथ मिलकर इसके लिए नए हाई-टेक टूल्स ईजाद कर रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट एडीज एजिप्टी मच्छरों को पकडऩे के एक स्मार्ट ट्रैप पर काम कर रहा है। पिंजरे के आकार के इस डिवाइस में रोबोटिक्स, इंफ्रारेड सेंसरों, मशीन लर्निंग व क्लाउड कम्प्यूटिंग की मदद ली गई है। इससे स्वास्थ्य अधिकारी मच्छरों पर नजर रख पाएंगे। माइक्रोसॉफ्ट की मशीनें हर कीट को अलग फीचर और उनके पंख फडफ़ड़ाने पर पडऩे वाली परछाईं से उन्हें पहचानेंगी। जब यह ट्रैप एक एडीज ऐजिप्टी मच्छर को अपने 64 चेम्बरों में से एक में पहचानेंगी तो उसका दरवाजा तुरंत बंद हो जाएगा।
एडीज एजिप्टी से भी बचाव संभव
डिवाइस डवलप करने वाले माइक्रोसॉफ्ट इंजीनियर ईथन जैक्सन ने बताया कि टेस्ट में सामने आया कि ये ट्रैप्स एडीज एजिप्टी और दूसरे मच्छरों को 85 प्रतिशत सटीकता से पकड़ सकती हैं। फिलहाल इन मशीनों के अभी सिर्फ प्रोटोटाइप्स बने हैं। ये उच्च तापमान व नमी के माहौल में भी डेटा रिकॉर्ड करती हैं। इसकी मदद से ऐसा मॉडल बनाया जा सकता है कि कब और कहां मच्छर ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
नहीं बन पाएंगे मच्छरों के अंडे
मॉस्कीटोमैट आईएनसी नाम के एक स्टार्टअप ने वोलबाचिया नाम के एक प्राकृतिक बैक्टीरिया की मदद से नर मच्छरों को स्टेराइल कर देता है। जब ये स्टेराइल मच्छर मादा मच्छरों से मिलते हैं तो इनके अंडे ही नहीं बन पाते। लेकिन इसमें सबसे बड़ी चुनौती है मच्छरों के लिंग को पहचानना। यहां गूगल की पैरंट कंपनी अल्फाबेट का लाइफ साइंस डिविजन वेरिली आता है। यह कंपनी रोबोट्स की मदद से मच्छरों का लिंग पहचानने की प्रक्रिया को तेज और बहुत अफोर्डेबल बना रही है।