नई दिल्ली।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1965 के युद्ध में सेना ने पाक सैनिकों को उल्टेपांव
भागने पर मजबूर कर दिया था। पाकिस्तान को हर मोर्चे पर मात खानी पड़ी थी। हालांकि
लंबे समय तक चले इस युद्ध की समाप्ति संयुक्त राष्ट्र की दखल के बाद शिमला समझौते
के साथ हुई। इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया। उसमें से एक
थे
पंजाब रेजीमेंट के अफसर रंजीत सिंह।
5 अगस्त 1965 को करीब तीस हजार
पाकिस्तानी सैनिक सीमा को पार कर कश्मीर में घुस आए थे। ये लोग स्थानीय वेशभूषा में
थे, ताकि इनके आने की किसी को भनक ना लग सके। वहीं भारतीय सेना और सरकार को जब इस
घुसपैठ की जानकारी मिली। वहीं पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू कर
दिया। ये जम्मू कश्मीर के अखनूर जिले पर कब्जा करना चाहते थे। 6 सितंबर को भारतीय
सेना ने हमले का जोरदार जवाब दिया। भारत ने इसे युद्ध घोषित करते हुए पश्चिमी सीमा
से अंतर्राष्ट्रीय सीमा लांघ दी।
युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने रणनीतिक
दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाने वाले उरी सेक्टर के हाजीपीर दर्रे पर कब्जा कर लिया
था। उस दौरान मेजर रंजीत सिंह दयाल अपनी कंपनी के साथ रवाना हुए। यहां पहुंचकर
उन्होंने पाकिस्तानी सेना पर धावा बोल दिया, दोनों ओर से जबरदस्त गोलीबारी हुई। इस
दौरान बारिश भी शुरू हो गए। चारों तरफ कोहरा छा गया।
उधर मेजर दयाल ने अपने
अनुभव का इस्तेमाल करते हुए खड़ी चढ़ाई के रास्ते से जाना तय किया। पूरी रात सेना
चढ़ाई करती रही। अगली सुबह भारतीय सेना पाकिस्तानियों के सामने थी। दोनों तरफ से
फिर गोलीबारी शुरू हो गई। वहीं मेजर दयाल एक टुकड़ी के साथ दूसरे रास्ते से
पाकिस्तानी सेना को घेरने के लिए निकल गए। वहीं एक टुकड़ी गोलीबारी में पाकिस्तानी
सेना को उलझाए रखी। अचानक की मेजर और उनकी टुकड़ी को देखकर पाकिस्तानी सैनिकों के
होश उड़ गए और हथियार छोड़भाग खड़े हुए। 28 अगस्त सुबह साढ़े दस बजे हाजीपीर पास
फिर से भारत के कब्जे में था। लड़ाई में 21 भारतीय सैनिक घायल हुए थे। हमने पाक के
10 जवान मार गिराए थे। एक को बंदी बनाया।
Home / Special / इस भारतीय जवान को देख हथियार छोड़कर भाग खड़े हुए पाक सैनिक