कोलकाता। बहुचर्चित शीना बोरा मर्डर केस में आरोपी इंद्राणी मुखर्जी
के पहले पति बताए जाने वाले सिद्धार्थ दास मीडिया के सामने आए। सिद्धार्थ ने एक
अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में इंद्राणी से उनके मिलने, बच्चों के नाम रखने और
फिर अलग होने की पूरी कहानी सुनाई।
सिद्धार्थ ने बताया कि हमारी मुलाकात
1984 में हुई थी। जल्द ही हम एक-दूसरे के साथ घुल-मिल गए और हममे प्यार हो गया। वो
मुझे प्यार से सिड बुलाया करती थी। इंद्राणी की शिलॉन्ग कॉलेज में पढ़ाई खत्म होने
के बाद वह गुवाहाटी आ गई। 1986 में हमने एक साथ रहना शुरू किया। उस वक्त इंद्राणी
की उम्र 20 साल और मैं 21 साल का था। सिद्धार्थ ने कहा कि मैं इंद्राणी के घर में
ही रहता था। इससे इंद्राणी के माता-पिता को कोई दिक्कत नहीं थी।
सिद्धार्थ
ने बताया कि हमने एक साथ शीना-क्वीन ऑफ जंगल मूवी देखी थी। इसके बाद हमने सोचा था
कि अगर हमें बेटी हुई तो उसका नाम शीना ही रखेंगे और हुआ भी ऎसा ही। हमारी एक बेटी
हुई, जिसका नाम हमने शीना रखा। वहीं बेटे का नाम हमने सोवियत लीडर मिखाइल गोर्वाचोव
के नाम पर रखा।
सिद्धार्थ ने बताया कि इंद्राणी हमेशा से ही लाइम लाइट में
रहना चाहती थी। उसे महंगे कपड़ों और कारों का शौक था। उस वक्त मैंने गुवाहाटी में
एक बेकरी की दुकान शुरू की थी। इंद्राणी जल्द से जल्द पैसा कमाना चाहती थी। वो
चाहती थी कि मैं ऎसी जगह निवेश करूं, जहां से जल्द मुनाफा कमाया जा सके। उस वक्त
मेरी सैलेरी काफी कम थी और इंद्राणी इस बात से खफा थी।
1989 में इंद्राणी
ने कहा कि वो शिलॉन्ग जा रही है और वहां सैटल होने के बाद वो मुझे भी बुला लेगी,
लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद इंद्राणी के माता-पिता ने भी मुझे घर
छोड़ने के लिए कहा। मैंने बच्चों की कस्टडी चाही, लेकिन उन्होंने नहीं दी। इसके बाद
करीब दो महीने बाद मेरी इंद्राणी से मुलाकात हुई। उसने कहा कि वह किसी और के साथ
है। इसके बाद इंद्राणी ने मुझे उसकी जिंदगी से निकल जाने के लिए कहा। इसके बाद मैं
अरूणाचल प्रदेश आ गया। यहां स्कूल में बच्चों को पढ़ाया और फिर कोलकाता चला गया।
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